Hybrid War: रूस पर जर्मनी का कड़ा रुख, साइबर हमलों और चुनावी दखल के आरोप, रूसी राजदूत तलब

बर्लिन: जर्मनी और रूस के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। जर्मनी ने रूस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह ‘हाइब्रिड वॉर’ के तहत उसके खिलाफ साइबर हमले कर रहा है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, खासकर चुनावों, को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। इन आरोपों के बाद जर्मन सरकार ने बर्लिन स्थित रूसी राजदूत को तलब कर आधिकारिक तौर पर अपनी सख्त नाराजगी दर्ज कराई है।

क्या है जर्मनी का आरोप?

जर्मनी का कहना है कि हाल के महीनों में सरकारी संस्थानों, राजनीतिक दलों और अहम बुनियादी ढांचे पर साइबर हमलों में बढ़ोतरी हुई है। जर्मन सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इन हमलों के पीछे रूस समर्थित हैकर समूहों की भूमिका होने के संकेत मिले हैं। बर्लिन का आरोप है कि इन साइबर गतिविधियों का मकसद संवेदनशील जानकारी चुराना, सरकारी कामकाज को बाधित करना और जनता के बीच भ्रम फैलाना है।

चुनावी प्रक्रिया में दखल की आशंका

साइबर हमलों के साथ-साथ जर्मनी ने रूस पर चुनावों में हस्तक्षेप की साजिश रचने का भी आरोप लगाया है। जर्मन अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया के जरिए फर्जी खबरें फैलाना, दुष्प्रचार करना और मतदाताओं की राय को प्रभावित करना ‘हाइब्रिड वॉर’ की रणनीति का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि ऐसे कदम देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सीधा खतरा हैं।

रूसी राजदूत को क्यों किया गया तलब?

इन गंभीर आरोपों के मद्देनजर जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने रूसी राजदूत को तलब किया और स्पष्ट संदेश दिया कि वह देश की सुरक्षा और लोकतंत्र से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। जर्मनी ने रूस से इन गतिविधियों को तुरंत रोकने और अंतरराष्ट्रीय नियमों का सम्मान करने की मांग की है।

हाइब्रिड वॉर क्या होती है?

हाइब्रिड वॉर एक ऐसी रणनीति है, जिसमें सैन्य कार्रवाई के बजाय साइबर हमले, दुष्प्रचार, आर्थिक दबाव और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसका उद्देश्य बिना सीधे युद्ध के दुश्मन देश को कमजोर करना होता है। जर्मनी का आरोप है कि रूस इसी तरह की रणनीति अपनाकर यूरोपीय देशों को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है।

रूस की प्रतिक्रिया

हालांकि, रूस की ओर से इन आरोपों को खारिज किया जाता रहा है। मॉस्को अक्सर ऐसे दावों को “बेबुनियाद” और “राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताता है। माना जा रहा है कि इस मामले पर आने वाले दिनों में रूस की आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आ सकती है।

बढ़ता यूरोपीय तनाव

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद केवल जर्मनी और रूस तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे यूरोप की सुरक्षा राजनीति पर पड़ सकता है। नाटो और यूरोपीय संघ पहले ही साइबर सुरक्षा को लेकर सतर्क हैं और जर्मनी का यह कदम रूस के साथ संबंधों में और तल्खी ला सकता है।

कुल मिलाकर, जर्मनी द्वारा लगाए गए ये आरोप और रूसी राजदूत को तलब किया जाना इस बात का संकेत है कि यूरोप में ‘हाइब्रिड वॉर’ को लेकर चिंता लगातार गहराती जा रही है।

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