"गुरु वह दीपक है जो अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से दूर करता है। शिक्षा ही वह माध्यम है जो मनुष्य को पशुता से उठाकर मानवता की ऊंचाई तक ले जाती है। एक सच्चे गुरु का सौभाग्य तभी पूर्ण होता है जब उसका शिष्य उससे आगे निकल जाए।"
उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताया और कहा कि यही परंपरा हमारे समाज को संस्कारित करती है। कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों ने अपने गुरुओं को उपहार भेंट कर और उनके चरण स्पर्श कर आभार व्यक्त किया। कई छात्रों ने भावुक होकर अपने अनुभव साझा किए और शिक्षकों से मिले मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया। छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए भजन, कविताएं और गुरु-वंदना ने माहौल को आध्यात्मिक बना दिया। पूरे आयोजन में परंपरा, आदर और भावना का अद्भुत समन्वय देखने को मिला।
पंडित स्वयं प्रकाश अवस्थी
विभागाध्यक्ष, ज्योतिष शास्त्र
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय
विभागाध्यक्ष, ज्योतिष शास्त्र
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय
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