Explainer: आखिर ऐसा क्या हुआ कि लगातार 4 मैच से बाहर रहे संजू सैमसन? गंभीर ने कहा था—21 डक के बाद भी नहीं करेंगे ड्रॉप


 भारतीय क्रिकेट में संजू सैमसन को लेकर बहस हमेशा गर्म रहती है। कभी उनके स्ट्राइक रेट की तारीफ होती है, तो कभी उनकी अस्थिर जगह की चर्चा। हाल ही में एक बार फिर सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि वह लगातार चार मैच से प्लेइंग-11 से बाहर रहे? यह वही सैमसन हैं जिनके बारे में गौतम गंभीर ने कहा था कि “21 डक मार दें, तब भी मैं उन्हें ड्रॉप नहीं करूंगा”

तो फिर ऐसे खिलाड़ी को लगातार मैचों में मौका क्यों नहीं मिला?

गिल की जगह और वर्ल्ड कप की चुनौती

सबसे बड़ा सवाल है—क्या शुभमन गिल को वर्ल्ड कप के लिए टीम में जगह देने की वजह से सैमसन को इंतजार करवाया गया?
गिल फॉर्म में हों तो टीम के लिए एसेट हैं, लेकिन उनकी निरंतरता और बड़े मैचों में दबाव का सामना करने की क्षमता पर कई बार सवाल उठे हैं। ऐसे में, क्या यह वर्ल्ड कप सैमसन को प्राथमिकता देने का मौका था?

सवाल जायज है, क्योंकि सैमसन का T20 फॉर्म बीते महीनों में बेहद स्थिर रहा है। वह मिडिल ऑर्डर में पावर गेम खेल सकते हैं, स्पिन के खिलाफ बेहतर विकल्प हैं और विकेटकीपिंग भी संभाल सकते हैं। इसके बावजूद टीम मैनेजमेंट ने प्लान बी के तौर पर उन्हें स्क्वॉड में तो रखा, लेकिन प्लेइंग-11 में फिट करने की गारंटी नहीं दी।

तो सैमसन को क्यों नहीं मिला लगातार मौका?

इसका पहला कारण टीम कॉम्बिनेशन है। भारत तीन-टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों के साथ खेलना पसंद करता है, और चौथे स्लॉट के लिए गिल, ईशान, सूर्यकुमार और राहुल जैसे खिलाड़ी पहले से लाइन में हैं। ऐसे में सैमसन के लिए जगह बनाना मुश्किल होता है।

दूसरा कारण है—सैमसन की “inconsistency की perception”。 आंकड़े कह सकते हैं कि उन्होंने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन टीम मैनेजमेंट का भरोसा अक्सर उन खिलाड़ियों पर जाता है जिनकी जगह लंबे समय से पक्की है।

फिलहाल सच्चाई क्या है?

फिलहाल जवाब साफ है—
संजू सैमसन स्क्वॉड में जरूर हैं, लेकिन प्लेइंग-11 में उनकी जगह की कोई गारंटी नहीं है।
यह वर्ल्ड कप उनका हो सकता था, पर टीम का झुकाव गिल जैसे स्थापित नामों की तरफ रहा।

आने वाले मैच तय करेंगे कि सैमसन मौका पाएंगे या फिर एक बार फिर ‘स्क्वॉड का हिस्सा—but not first choice’ खिलाड़ी बने रहेंगे।

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