Diwali: यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में दीपावली शामिल, PM मोदी बोले—“यह हमारी सभ्यता की आत्मा”


 भारत के लिए गर्व का क्षण है। यूनेस्को ने दीपावली को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage of Humanity) की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया है। यह ऐतिहासिक निर्णय दिल्ली के लाल किले में आयोजित अहम बैठक के दौरान लिया गया, जिसमें कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

दीपावली भारत का सबसे बड़ा और प्राचीन त्यौहार है, जो प्रकाश, आशा और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। यूनेस्को द्वारा इसे वैश्विक सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा मिलना न केवल भारतीय परंपरा और मूल्यों की अंतरराष्ट्रीय पहचान है, बल्कि यह दुनिया भर में मनाए जाने वाले त्योहार की व्यापक लोकप्रियता को भी दर्शाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा—
“दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की आत्मा है। इसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति हमारी विरासत को दुनिया से जोड़ती है।”

इस नए शामिलीकरण के साथ अब भारत की 15 सांस्कृतिक विरासतें यूनेस्को की सूची का हिस्सा बन चुकी हैं। इनमें कुम्भ मेला, दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, रामलीला और कई अन्य परंपराएं पहले से शामिल हैं। दीपावली के जुड़ने से इस सूची में भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि और भी मजबूती से उभरकर सामने आई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा मिलने से भारत की सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) को वैश्विक स्तर पर बड़ा फायदा मिलेगा। साथ ही यह त्योहार की आध्यात्मिक, सामाजिक और पारिवारिक महत्व को विश्व पटल पर नए सम्मान के साथ स्थापित करेगा।

भारत सरकार ने कहा है कि यह फैसला न केवल भारतीय समुदाय, बल्कि उन करोड़ों लोगों की भावना को भी मान्यता देता है जो दुनियाभर में दीपावली को उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं।

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