मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा हिंदू परंपरा में अत्यंत शुभ और रहस्यमय मानी जाती है, और इस वर्ष इसकी महिमा और भी बढ़ गई है क्योंकि 4 दिसंबर की रात दुर्लभ गजकेसरी योग का गठन हो रहा है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार यह योग अत्यंत शक्तिशाली होता है और धन, सफलता तथा मनोकामना सिद्धि में विशेष प्रभाव देता है। पूर्णिमा की शांत, सौम्य और ऊर्जा से भरपूर रात्रि में की गई चंद्र साधना जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली मानी जाती है।
गजकेसरी योग का महत्व
जब चंद्रमा और बृहस्पति का विशिष्ट संयोग बनता है, तब गजकेसरी योग का निर्माण होता है। इसे अत्यंत मांगलिक और सौभाग्यदायक योग कहा जाता है। इस योग में की गई साधना और प्रार्थना को विशेष रूप से फलदायी माना गया है। ज्योतिष के अनुसार यह संयोजन जीवन में बुद्धि, समृद्धि, सौभाग्य और मानसिक शांति बढ़ाने वाला होता है।
पूर्णिमा की रात चंद्र साधना क्यों विशेष?
पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपने पूर्ण तेज के साथ आकाश में दिखाई देता है। माना जाता है कि चंद्रमा मन, भावनाओं और स्थिरता का कारक है। इस रात उसकी ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है। इसलिए मन से की गई प्रार्थना, साधना और संकल्प जल्दी पूरी होते हैं। विशेषकर गजकेसरी योग के साथ यह प्रभाव और भी प्रबल हो जाता है।
सरल और दिव्य चंद्र साधना
यदि आप इस शुभ अवसर का पूर्ण लाभ लेना चाहते हैं तो आज रात यह सरल चंद्र साधना कर सकते हैं:
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संध्या के बाद शांत स्थान पर बैठें। वातावरण को शुद्ध रखने के लिए दीपक जलाएं।
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पूर्णिमा के चंद्रमा का दर्शन करें और कुछ क्षण अपने मन को स्थिर होने दें।
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अपनी दो प्रमुख मनोकामनाओं को मन ही मन स्पष्ट रूप से सोचें।
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चंद्रमा की ओर मुख करके धीमी सांसों के साथ “ॐ चन्द्राय नमः” का मंत्र कम से कम 11 बार जपें।
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अंत में दोनों इच्छाओं का संकल्प लेकर चंद्रदेव से प्रार्थना करें।
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साधना के बाद थोड़ा सा जल अर्घ्य के रूप में अर्पित करें।
मान्यता और आध्यात्मिक विश्वास
कहते हैं कि पूर्णिमा की यह साधना मन की शांति, भावनात्मक संतुलन और मानसिक ऊर्जा को बढ़ाती है। कई लोग मानते हैं कि इस रात लिया गया संकल्प बहुत तेजी से सिद्ध होता है, खासकर जब गजकेसरी जैसे शुभ योग का आशीर्वाद प्राप्त हो।
आज की रात ऊर्जा, आस्था और संकल्प का संगम है। यदि शांत मन से चंद्र साधना की जाए, तो यह आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का माध्यम बन सकती है
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