13 दिसंबर 2025 को देश ने संसद पर हुए आतंकी हमले की 24वीं बरसी मनाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने 2001 के संसद हमले में शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पूरे देश में शहीदों के अद्वितीय साहस, कर्तव्यनिष्ठा और सर्वोच्च बलिदान को याद किया गया।
2001 का संसद हमला: देश की सुरक्षा पर सीधा हमला
13 दिसंबर 2001 को आतंकियों ने भारतीय संसद को निशाना बनाकर लोकतंत्र के हृदय पर प्रहार करने की कोशिश की थी। इस हमले का मकसद देश की संप्रभुता और सुरक्षा को चुनौती देना था। हालांकि, संसद परिसर में तैनात बहादुर सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों का डटकर मुकाबला किया और उनके नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया। इस हमले में कई जवान शहीद हुए, लेकिन उनकी वीरता ने देश को एक बड़े संकट से बचा लिया।
पीएम मोदी और नेताओं की श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि देश उनकी वीरता और बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। उन्होंने कहा कि जब-जब दुश्मनों ने भारत की ओर बुरी नजर से देखा, तब-तब हमारे जवानों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि संसद हमला भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला था, जिसे हमारे सुरक्षाबलों ने अपने साहस से विफल कर दिया।
शहीदों का बलिदान: आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
संसद हमले में शहीद हुए जवानों का बलिदान आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित किया कि राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसके लिए सर्वोच्च बलिदान भी छोटा है। उनकी कुर्बानी ने न केवल उस दिन संसद और देश को बचाया, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प को भी मजबूती दी।
देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम
बरसी के मौके पर संसद परिसर सहित देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। लोगों ने शहीदों को याद करते हुए उनकी वीरगाथाओं को नमन किया और देश की एकता व अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लिया। संसद हमले की यह बरसी एक बार फिर याद दिलाती है कि भारत अपने वीर सपूतों के दम पर हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है।
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