विश्व मधुमेह दिवस 2025 के अवसर पर यह समझना बेहद जरूरी है कि डायबिटीज में शुगर लेवल का बढ़ना ही नहीं, बल्कि बहुत कम हो जाना (हाइपोग्लाइसीमिया) भी उतना ही खतरनाक है। कई लोग उच्च रक्त शर्करा के प्रभावों के बारे में जानते हैं, लेकिन हाइपोग्लाइसीमिया की गंभीरता को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर ब्लड शुगर सामान्य सीमा (70 mg/dL से कम) से नीचे चला जाता है, तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की शुरुआत बन सकता है और समय पर ध्यान न देने पर कोमा तक की स्थिति पैदा कर सकता है।
हाइपोग्लाइसीमिया शरीर पर कई तरह से असर डालता है। शुरुआत हल्के लक्षणों से होती है जैसे—चक्कर आना, अत्यधिक भूख लगना, पसीना आना, कमजोरी, घबराहट और हाथ-पैर कांपना। यदि इस अवस्था को पहचानकर तुरंत शुगर लेवल न बढ़ाया जाए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। मध्यम स्तर के हाइपोग्लाइसीमिया में मानसिक भ्रम, तेज धड़कन, धुंधला दिखाई देना, चिड़चिड़ापन और बोलने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। यही कारण है कि डायबिटीज के मरीजों को हमेशा अपने शरीर में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर भी नजर रखनी चाहिए।
गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है जब शुगर बहुत नीचे गिर जाती है और व्यक्ति बेहोश हो सकता है। यह स्थिति जानलेवा मानी जाती है क्योंकि इसमें दिमाग को पर्याप्त ग्लूकोज नहीं मिल पाता, जिससे सीजर्स (दौरे), बेसुध होना और कोमा जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। डायबिटीज की दवाइयां, इंसुलिन, अधिक शारीरिक गतिविधि, देर से खाना खाना या भोजन में कार्बोहाइड्रेट की कमी—ये सभी कारण हाइपोग्लाइसीमिया का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अपने शुगर लेवल की नियमित जांच करते रहना चाहिए, खासकर सुबह खाली पेट, भोजन के बाद, और किसी लंबी शारीरिक गतिविधि के बाद। उन्हें हमेशा अपने पास ग्लूकोज टैबलेट, मिठाई या फलों का रस जैसे त्वरित राहत देने वाले विकल्प रखना चाहिए, जिससे अचानक गिरते शुगर लेवल को तुरंत स्थिर किया जा सके। परिवार के सदस्यों को भी इसके लक्षणों और प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी होनी चाहिए ताकि किसी आकस्मिक स्थिति में सही कदम उठाया जा सके।
विश्व मधुमेह दिवस का उद्देश्य लोगों में जागरूकता बढ़ाना है, ताकि वे समझ सकें कि डायबिटीज केवल हाई शुगर से नहीं, बल्कि कम शुगर से भी जानलेवा रूप ले सकती है। उचित प्रबंधन, सही आहार, नियमित दवाइयों और शुगर मॉनिटरिंग से हाइपोग्लाइसीमिया को नियंत्रित किया जा सकता है और गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
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