WhatsApp Data Sharing Case: NCLAT ने बदला CCI का फैसला, मेटा के साथ डेटा शेयरिंग से हटाया बैन

WhatsApp और Meta (Facebook) से जुड़े डेटा शेयरिंग केस में बड़ा फैसला आया है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अब WhatsApp को अपने प्लेटफॉर्म के जरिए Meta के साथ यूजर डेटा शेयर करने की अनुमति मिल गई है।

क्या था मामला?

CCI ने पहले WhatsApp पर यह कहते हुए बैन लगाया था कि कंपनी अपने यूजर्स के डेटा को Meta के साथ ऐसी शर्तों पर साझा करती है, जो प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन कर सकती हैं और डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ बढ़ाती हैं। CCI का मानना था कि डेटा शेयरिंग के जरिए Meta डिजिटल विज्ञापन और मार्केट डोमिनेंस को गलत तरीके से मजबूत कर सकता है।

NCLAT ने क्यों पलटा फैसला?

NCLAT ने CCI के स्टेंस पर सवाल उठाते हुए कहा कि:

WhatsApp ने डेटा शेयरिंग से जुड़े नियमों के बारे में उपयोगकर्ताओं को स्पष्ट जानकारी दी है

यूजर सहमति के आधार पर ही डेटा शेयर होता है

CCI, प्रतिस्पर्धा कानून लागू करता है — डेटा प्राइवेसी उसकी कार्यक्षेत्र सीमा में पूरी तरह नहीं आती


ट्रिब्यूनल ने कहा कि सिर्फ प्लेटफॉर्म की लोकप्रियता या बड़ी यूजर बेस को मार्केट दुरुपयोग (abuse of dominance) का आधार नहीं माना जा सकता।

आगे क्या?

इस फैसले के बाद, Meta और WhatsApp दोनों को राहत मिली है। अब कंपनी अपनी नीतियों के तहत डेटा इंटीग्रेशन रणनीति को आगे बढ़ा सकती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि:

भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) Act लागू होने के बाद भी WhatsApp को डेटा सुरक्षा को लेकर जवाबदेह रहना होगा

यूज़र की सहमति और पारदर्शिता पर कड़ी नज़र रखी जाएगी


उपयोगकर्ताओं के लिए क्या मायने?

ऐप सेवाओं में और इंटीग्रेशन बढ़ सकता है

टार्गेटेड विज्ञापनों की सटीकता बढ़ेगी

डेटा गोपनीयता पर बहस और मजबूत नियमन की मांग फिर बढ़ सकती है


कुल मिलाकर, यह निर्णय Big Tech कंपनियों और भारतीय प्रतिस्पर्धा नियामक संरचना के बीच चल रही कानूनी जंग में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ है।

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