अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचाने वाला बड़ा दावा किया है। ट्रंप ने कहा है कि पाकिस्तान गुप्त रूप से परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है। उनके अनुसार, सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि कुछ अन्य देश भी बिना वैश्विक निगरानी के परमाणु परीक्षण करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप के इस बयान के बाद भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है क्योंकि यह आरोप ऐसे समय में आया है जब विश्व समुदाय पहले से ही वैश्विक संघर्षों, हथियारों की होड़ और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा से चिंतित है।
ट्रंप ने अपना यह दावा ऐसे वक्त में किया है जब हाल ही में उन्होंने अमेरिका के परमाणु हथियार परीक्षण कार्यक्रम को तुरंत बहाल करने की घोषणा की थी। यह घोषणा उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दक्षिण कोरिया में प्रस्तावित मुलाकात से ठीक पहले की। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को अपनी परमाणु क्षमता किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं पड़ने देनी चाहिए, खासकर तब जब दुनिया के कई देश नए प्रकार के हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं।
उनके अनुसार, चीन, रूस और उत्तर कोरिया जैसी परमाणु शक्तियाँ लगातार अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रही हैं। इसी क्रम में उन्होंने पाकिस्तान का भी उल्लेख किया और संकेत दिए कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय नियमों की परवाह किए बिना हथियार परीक्षण कर रहा है। हालांकि, उनके इस दावे को अब तक किसी स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय एजेंसी या अमेरिकी प्रशासन ने आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की है।
पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ वर्षों से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। जब भी परमाणु हथियारों का मुद्दा सामने आता है, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ जाता है। पाकिस्तान पहले भी कई बार आतंकवाद से जुड़े मामलों में अमेरिका की आलोचना झेल चुका है। अब ट्रंप के नए बयान से यह सवाल उठने लगा है कि क्या वाशिंगटन इस दावे के आधार पर इस्लामाबाद पर किसी तरह का दबाव बढ़ाएगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह टिप्पणी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है। अमेरिकी राजनीति में रक्षा और परमाणु शक्ति को लेकर आक्रामक रुख अपनाने से जनता के एक तबके का समर्थन मिलने की संभावना रहती है। वहीं, पाकिस्तान लगातार यह दावा करता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, न कि किसी आक्रामक मंशा के तहत।
अब दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अमेरिका इस आरोप पर आगे कोई बड़ा कदम उठाता है या इसे सिर्फ ट्रंप की चुनावी बयानबाज़ी माना जाएगा। लेकिन इतना तय है कि यह बयान दक्षिण एशिया और वैश्विक सुरक्षा पर होने वाली बहस को और तेज़ कर देगा।
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