Starlink in India: स्टेलाइट इंटरनेट सर्विस लॉन्च से पहले एलन मस्क की स्टारलिंक की भारत में भर्ती शुरू


 भारत में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने अपनी पहली भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। स्पेसएक्स के स्वामित्व वाली यह कंपनी पहले से कई देशों में बेहद तेज गति की इंटरनेट सुविधा मुहैया करा रही है और अब भारत भी उसी सूची में जल्द शामिल होने वाला है।

कंपनी के अनुसार, स्टारलिंक की भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए तेजी से नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्राउंड स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं।

 भारत में भर्ती की शुरुआत

स्टारलिंक फिलहाल टेलीकेम्यूनिकेशन, नेटवर्क ऑपरेशंस और पॉलिसी मैनेजमेंट से जुड़े पदों के लिए प्रतिभाओं की तलाश कर रही है।
कंपनी ऐसे तकनीकी विशेषज्ञों की भर्ती कर रही है जो भारतीय बाजार में सैटेलाइट इंटरनेट के विस्तार और संचालन में अहम भूमिका निभाएंगे।

 भारत के इंटरनेट सेक्टर में बड़ा बदलाव?

स्टारलिंक का दावा है कि उसकी सैटेलाइट-आधारित सेवा उन ग्रामीण और दूर-दराज़ क्षेत्रों में भी तेज इंटरनेट पहुंचा सकेगी जहाँ परंपरागत नेटवर्क पहुँचना मुश्किल है।

  • दूरस्थ गांवों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी

  • ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन और डिजिटल सर्विसेज को बढ़ावा

  • सरकारी योजनाओं के डिजिटल विस्तार में मदद

इस तकनीक के कारण भू-भाग की चुनौतियों के बावजूद बिना केबल बिछाए इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी।

🇮🇳 भारत सरकार की मंजूरी के बाद तेज होगी प्रक्रिया

भारत में बुनियादी मंजूरियों और सैटेलाइट स्पेक्ट्रम से जुड़े नियमों पर काम चल रहा है। एक बार अंतिम स्वीकृति मिलते ही स्टारलिंक अपनी सेवाओं का विस्तार तेजी से शुरू करेगी।

पहले भी कंपनी ने भारत में प्री-ऑर्डर शुरू किए थे, लेकिन नियामकीय अड़चनों के चलते उन्हें बंद करना पड़ा था। इस बार, स्टारलिंक अधिक संगठित और समन्वित रूप से भारतीय बाजार में प्रवेश की योजना बना रही है।

 प्रतिस्पर्धा बढ़ने के आसार

जियोस्पेस, भारती समूह की वनवेब और अन्य वैश्विक कंपनियों के साथ मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। इससे भारत में इंटरनेट सेवाओं की गुणवत्ता और विकल्प दोनों बढ़ेंगे।

स्टारलिंक के भारत में कदम रखने से देश की डिजिटल प्रगति को नई गति मिलने की उम्मीद है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि कब तक यह सेवा आम उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध हो पाती है।

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