SIR पर बढ़ी सियासी रार: बंगाल की जनसांख्यिकी बदलने का आरोप, टीएमसी बोली- नया NRC?


 देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR: Special Intensive Revision) की प्रक्रिया शुरू होते ही राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे अवैध घुसपैठ रोकने के लिए जरूरी कदम बता रही है, वहीं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस पूरी प्रक्रिया को संदेह की नजर से देख रही है। असम में टीएमसी नेताओं ने तो SIR को NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) का नया रूप करार दे दिया है।

SIR अभियान के तहत चुनाव आयोग उन मतदाताओं की जांच कर रहा है, जिनके दस्तावेजों में कमी पाई जाती है या फिर संदिग्ध वोटरों को चिन्हित किया जा रहा है। साथ ही नए मतदाताओं का पंजीकरण भी किया जा रहा है। आयोग का दावा है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसका मकसद मतदाता सूची को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाना है। हालांकि राजनीतिक दल इसे अपने-अपने बयान और आरोपों के साये में देख रहे हैं।

भाजपा का आरोप है कि पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर अवैध घुसपैठिए मतदाता सूची में शामिल किए गए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि इससे राज्य की जनसांख्यिकी लगातार बदल रही है, और इसी बदलाव का फायदा टीएमसी की राजनीति को मिल रहा है। भाजपा का यह भी दावा है कि SIR से ऐसे अवैध वोटरों की पहचान होगी और उन्हें मतदाता सूची से हटाया जा सकेगा।

वहीं टीएमसी का कहना है कि चुनाव आयोग की कार्रवाई निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं है। पार्टी नेताओं ने सवाल उठाया है कि इस प्रक्रिया के बहाने वैध नागरिकों को परेशान किया जाएगा और खास तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भेदभाव की आशंका है। असम में पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाया कि NRC की तरह यह पहल भी लोगों की नागरिकता पर सवाल उठाने की साजिश है।

विशेषज्ञों की मानें तो मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम समय-समय पर किया जाता है, लेकिन इस बार राजनीतिक माहौल इसे और अधिक विवादित बना रहा है। चुनावी मौसम नजदीक है, ऐसे में राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर अपने-अपने हित साधने की कोशिश कर रही हैं।

कुल मिलाकर, SIR प्रक्रिया को लेकर सियासी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप बढ़ते ही जा रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि यह अभियान पारदर्शिता और विश्वसनीयता की दिशा में कितना सफल होता है और क्या यह देश के वोटिंग सिस्टम में सुधार ला पाएगा या फिर इसे भी राजनीतिक विवादों की भेंट चढ़ना पड़ेगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ