Pediatric Stroke: बच्चे भी हो सकते हैं ब्रेन स्ट्रोक के शिकार, जानिए कारण, लक्षण और बचाव के तरीके


 अक्सर लोग ब्रेन स्ट्रोक को केवल वृद्धों की बीमारी मानते हैं, लेकिन यह बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। इसे पीडियाट्रिक स्ट्रोक कहा जाता है। स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह अचानक रुक जाता है या रक्तस्राव होने लगता है। इसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और कुछ ही मिनटों में वे क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। समय पर इलाज न मिले तो यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर गंभीर असर डाल सकता है।

बच्चों में ब्रेन स्ट्रोक के प्रमुख कारण

जन्म के समय की जटिलताएँ
ऑक्सीजन की कमी, प्रीमैच्योर बर्थ, या कठिन डिलीवरी की स्थिति में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।

हृदय संबंधी समस्याएँ
जिन बच्चों को दिल से जुड़ी जन्मजात बीमारियाँ होती हैं, उनमें स्ट्रोक की संभावना अधिक होती है।

खून का थक्का बनना
कई बार रक्त के जमने की समस्या (Blood Clotting Disorder) भी स्ट्रोक की वजह बनती है।

इंफेक्शन
मेनिनजाइटिस या गंभीर वायरल संक्रमण मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।

सिर में चोट
ट्रॉमा या गिरने पर सिर में चोट लगने से रक्तस्राव हो सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है।

बच्चों में ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण

 शरीर के एक तरफ कमजोरी या लकवा
 बोलने में परेशानी या अस्पष्ट भाषा
 दौरे (Seizures) पड़ना
 संतुलन बिगड़ना या चलने में कठिनाई
 अचानक तेज सिरदर्द
 चेतना का खो जाना

अगर इनमें से कोई भी लक्षण अचानक नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। बच्चों में समय रहते उपचार मिलने पर रिकवरी की संभावना अधिक होती है।

स्ट्रोक होने पर क्या करें?

 तुरंत इमरजेंसी मेडिकल सहायता लें
 सिर को स्थिर रखें
 बच्चे को कुछ भी खाने या पीने न दें
समय नोट कर लें — उपचार में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

कैसे बचा सकते हैं बच्चों को स्ट्रोक से?

गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच
 जन्म के बाद बच्चे के हृदय और रक्त संबंधी टेस्ट
 बच्चे को गंभीर चोट से बचाना
 संक्रमण के लक्षण दिखें तो तुरंत उपचार
 स्वस्थ भोजन और हाइड्रेशन पर ध्यान

निष्कर्ष

पेडियाट्रिक स्ट्रोक भले ही दुर्लभ हो, लेकिन इसके परिणाम बच्चे के जीवन को हमेशा के लिए बदल सकते हैं। माता-पिता और अभिभावकों को इसके लक्षण और जोखिम कारकों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। तुरंत कदम उठाकर आप बच्चे के जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बना सकते हैं।

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