Dev Deepawali 2025: 25 लाख दीपों की रोशनी से जगमगाएगी काशी, 84 घाट व 96 कुंड-तालाब पर होगा दिव्य उत्सव

वाराणसी, जिसे काशी और अविमुक्त क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, देव दीपावली के पावन अवसर पर एक बार फिर जगमगाती दिव्यता का अद्भुत दृश्य पेश करने के लिए तैयार है। इस वर्ष देव दीपावली 2025 पर काशी को रोशन करने के लिए लगभग 25 लाख दीपक जलाए जाएंगे। हर वर्ष की तरह इस बार भी गंगा के 84 घाटों पर भव्य दीपोत्सव का आयोजन होगा, जो आध्यात्मिकता, संस्कृति और भक्ति का असाधारण मिलन देखने का अवसर देगा।

काशी सिर्फ घाटों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि शहर के 96 कुंड और तालाब भी दीपों की आभा से दमक उठेंगे। जहां एक ओर घाटों पर दीपों की कतारें गंगा की लहरों पर प्रतिबिंबित होकर मंत्रमुग्ध करने वाला दृश्य प्रस्तुत करेंगी, वहीं दूसरी ओर काशी का जल-तट और कुंड भी इसी आनंदमय वातावरण में शामिल होंगे।

देव दीपावली की खासियत इसकी भव्य गंगा आरती है, जो इस बार चार प्रमुख घाटों—नमो घाट, दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट और अस्सी घाट—पर विशेष रूप से आयोजित की जाएगी। हजारों भक्ति-रस में डूबे श्रद्धालुओं की उपस्थिति में वैदिक मंत्रों, शंखध्वनि और दीपमालाओं के बीच गंगा की महिमा का उत्सव मनाया जाएगा।

गंगा आरती के साथ-साथ गंगा पार आतिशबाजी भी इस उत्सव का बड़ा आकर्षण होगी। रंग-बिरंगी आतिशबाजियाँ जब आसमान में खिलेंगी, तो गंगा की लहरों पर उनकी परछाई त्योहार के सौंदर्य को और बढ़ा देगी। आकाश, धरती और जल—तीनों तत्वों के बीच यह सामंजस्य एक दिव्य वातावरण तैयार करेगा, जिसे देखने हजारों-लाखों की संख्या में देश-दुनिया से लोग काशी पहुंचते हैं।

देव दीपावली को देवताओं की दीपावली कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वर्ग से काशी आते हैं और गंगा स्नान कर दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। इस महान पावन परंपरा का साक्षी बनकर हर श्रद्धालु के मन में भक्ति, शांति और आनंद का सागर उमड़ पड़ता है।

25 लाख दीपों की जगमगाहट, गंगा की पवित्र धारा, भव्य आरती और आसमान में चमकती रोशनी—यह सब मिलकर काशी को एक अलौकिक लोक में बदल देंगे। देव दीपावली 2025 आध्यात्मिक पर्यटन और संस्कृति का ऐसा भव्य उत्सव साबित होगा, जिसे जीवन में एक बार अवश्य देखा जाना चाहिए

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