बिहार चुनाव में तेजस्वी का बड़ा वादा: पहले चरण के मतदान से पहले बदला सियासी समीकरण?


 बिहार विधान सभा चुनाव में पहले चरण के मतदान से ठीक दो दिन पहले राजनीतिक सरगर्मी और तेज हो गई है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने मतदाताओं को साधने के लिए एक नया बड़ा ऐलान कर चुनावी मैदान में नई हलचल पैदा कर दी है। अपने इस वादे को उन्होंने ऐसी योजना बताया है, जिसे उनकी पार्टी की सरकार बनते ही लागू किया जाएगा।

हाल के दिनों में तेजस्वी यादव बेरोज़गारी और आर्थिक मुद्दों को चुनावी विमर्श का केंद्र बना चुके हैं। नौकरी देने के अपने वादे से युवा मतदाताओं को काफी हद तक प्रभावित करते आए हैं। अब इस नए घोषणा ने विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। तेजस्वी ने दावा किया कि राजद की सरकार बनते ही इस नई योजना को तेजी से लागू किया जाएगा, ताकि जनता को तुरंत राहत मिल सके।

चुनावी राजनीति में अंतिम चरण तक वोटरों का रुख बदलने की पूरी कोशिश की जाती है, और तेजस्वी यादव का यह कदम भी उसी दिशा में उठाया गया एक मजबूत राजनीतिक दांव माना जा रहा है। खासतौर पर युवा, किसान और रोजगार की तलाश में संघर्ष कर रहे वर्गों को साधने का यह प्रयास महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

हालांकि, सत्तारूढ़ दल ने राजद के इस वादे पर सवाल उठाते हुए इसे चुनावी लालच करार दिया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि वादों की लंबी सूची बनाना आसान है, लेकिन उन्हें पूरा करना उतना ही कठिन। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजद का पिछला रिकॉर्ड विकास के नाम पर भरोसा नहीं जगाता।

इसके जवाब में राजद समर्थकों का कहना है कि यह चुनाव भविष्य निर्माण का मौका है। उनका विश्वास है कि तेजस्वी की यह नई घोषणा आगामी चुनावी समीकरण को और दिलचस्प बनाएगी और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी।

कुल मिलाकर, पहले चरण के मतदान से पहले इस बड़े वादे ने बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। अब देखना यह है कि मतदाता तेजस्वी यादव के इस वादे से कितना प्रभावित होते हैं और चुनावी नतीजों में इसका कितना असर दिखाई देता है।

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