कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर आज देशभर में तुलसी विवाह की धूम रही। देवी तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम का यह पवित्र मिलन हिंदू परंपरा में अत्यंत शुभ माना जाता है। घर-घर में इस अवसर पर विशेष पूजा और वैवाहिक अनुष्ठान की तैयारी जोरों पर रही।
पंडितों के अनुसार, तुलसी विवाह से पूर्व घर की साफ-सफाई कर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र किया जाता है। तुलसी के पौधे को सुंदर मंडप में सजाया जाता है, जिस पर हल्दी, रोली और फूलों से श्रृंगार किया जाता है। भगवान शालिग्राम या विष्णु जी की मूर्ति को पीले वस्त्र पहनाकर तुलसी के समीप रखा जाता है। दीप जलाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र के साथ पूजा प्रारंभ की जाती है।
इसके बाद तुलसी और शालिग्राम का विधिवत विवाह कराया जाता है  मंगल गीत, आरती और प्रसाद वितरण के साथ। विवाह के दौरान चावल, गुड़, नारियल और मीठे पकवान का भोग लगाया जाता है। पंडितों का कहना है कि इस दिन तुलसी विवाह कराने से परिवार में वैवाहिक सुख और समृद्धि आती है।
धार्मिक मान्यता है कि तुलसी विवाह के बाद विवाह संस्कारों का शुभ समय प्रारंभ होता है, इसलिए कई परिवार इस तिथि के बाद ही विवाह कार्यक्रम तय करते हैं। ज्योतिषाचार्य चेतन मिश्रा कहते हैं, “पूजन में शुद्धता और श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण है। विधि में थोड़ी भूल हो जाए तो भी भावना सच्ची होनी चाहिए, तभी तुलसी विवाह का फल पूर्ण मिलता है।”
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