बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक सरगर्मी तेज होती जा रही है। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर एक ऐसा संदेश दिया है, जिसने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है।
मामला महुआ विधानसभा सीट का है। इस सीट से पिछली बार तेज प्रताप यादव विधायक चुने गए थे, लेकिन इस बार राजद ने महुआ से निवर्तमान विधायक मुकेश रोशन को टिकट दिया है। इसके साथ ही तेज प्रताप ने अपने नए राजनीतिक रास्ते का चयन किया है और वे अब जनशक्ति जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। यह कदम अपने-आप में बड़ा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।
इधर, सोशल मीडिया पर तेज प्रताप का एक वक्तव्य वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने साफ-साफ कहा है—
“जनता ही सबसे बड़ी होती है… पार्टी या परिवार नहीं।”
इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक मतभेद अब खुलकर सामने आ रहे हैं।
तेज प्रताप का कहना है कि वह हमेशा जनता के बीच रहे हैं और जनता के निर्णय को सर्वोच्च मानते हैं। उनका यह भी कहना है कि राजनीति का मकसद सत्ता नहीं, बल्कि जनसेवा है। उन्होंने इशारों-इशारों में यह सवाल उठाया कि अगर जनता के हितों से बढ़कर पार्टी या परिवार का हित रखा जाए, तो वह सही राजनीति नहीं कहलाती।
दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव की अगुवाई में राजद इस चुनाव में पूरी मजबूती के साथ उतर रही है और महागठबंधन को बड़ी सफलता की उम्मीद है। ऐसे में तेज प्रताप का अलग राह पकड़ना राजद के लिए चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह स्थिति यादव परिवार की आंतरिक राजनीति को उजागर करती है, जिसका असर कुछ सीटों पर देखने को मिल सकता है।
महुआ सीट इस बार खास चर्चा में इसलिए भी है क्योंकि यहां सत्तारूढ़ एनडीए, राजद और तेज प्रताप की नई पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। जनता की सहानुभूति और यादव मतों में बिखराव की संभावना पर सभी की नज़रें टिकी हैं।
तेज प्रताप के इस संदेश ने जहां उनके समर्थकों के मनोबल को बढ़ाया है, वहीं विरोधी दल इसे राजद की कमज़ोरी के रूप में पेश कर रहे हैं। अब देखना यह है कि जनता उनके संदेश—जनता सर्वोपरि—को वोटों के रूप में स्वीकार करती है या नहीं। बिहार के चुनावी परिणाम तय करेंगे कि यह भाई-भाई की राजनीतिक टक्कर किसे मजबूत कर पाती है।
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