दूसरों की तुलना खुद से करते हैं तो हो जाएं सतर्क, बहुत होते हैं साइड इफेक्ट

आज के सोशल मीडिया युग में दूसरों से अपनी तुलना करना लगभग हर किसी की आदत बन गई है। कोई दोस्त नई कार खरीद ले तो हमें भी वैसा ही चाहिए, किसी की छुट्टियों की तस्वीरें देखकर अपने जीवन को फीका मानने लगते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तुलना केवल आत्मविश्वास कम नहीं करती, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है।

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार दूसरों से तुलना करने से व्यक्ति में कम आत्म-सम्मान (low self-esteem), ईर्ष्या (jealousy) और तनाव (stress)  बढ़ता है। यह आदत धीरे-धीरे डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है।

दिल्ली स्थित मनोचिकित्सक कहती हैं, सोशल मीडिया पर हम केवल दूसरों की सफलता देखते हैं, न कि उनकी मेहनत या संघर्ष। यही अधूरी तस्वीर हमें यह महसूस कराती है कि हम पीछे हैं, जबकि सच्चाई इससे बहुत अलग होती है।

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि दूसरों से तुलना करने के बजाय व्यक्ति को अपनी प्रगति पर ध्यान देना चाहिए। हर व्यक्ति की परिस्थितियाँ, लक्ष्य और समय अलग होते हैं। खुद से बेहतर बनने की कोशिश ही असली सफलता है।

दूसरों से तुलना करने की बजाय खुद के विकास पर ध्यान दें क्योंकि तुलना नहीं, आत्म-सुधार ही खुशी और मानसिक शांति की असली चाबी है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ