भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी ZOHO आज दुनिया भर में तेज़ी से गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियों का किफायती और भरोसेमंद विकल्प बनकर उभर रही है। अपने ऑल-इन-वन बिजनेस सॉल्यूशन मॉडल, मजबूत डेटा प्राइवेसी नीति और सस्ती कीमतों के कारण ZOHO अब छोटे-बड़े सभी व्यवसायों की पहली पसंद बनता जा रहा है।
ZOHO के पास इस समय 55 से अधिक इंटीग्रेटेड एप्लिकेशन हैं जो किसी भी व्यवसाय के लगभग हर फंक्शन को कवर करते हैं — जैसे ईमेल, सीआरएम (Customer Relationship Management), फाइनेंस, एचआर मैनेजमेंट, मार्केटिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, एनालिटिक्स और ऑटोमेशन टूल्स। यानी एक ही प्लेटफॉर्म पर वह सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो आमतौर पर अलग-अलग सॉफ्टवेयर खरीदने पर मिलती हैं।
कंपनी की खासियत यह है कि ZOHO पूरी तरह से “प्राइवेसी-फर्स्ट” (Privacy First) दृष्टिकोण अपनाती है। जहां गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां यूजर डेटा को विज्ञापन और पर्सनलाइजेशन के लिए इस्तेमाल करती हैं, वहीं ZOHO का दावा है कि वह कभी भी उपयोगकर्ताओं का डेटा न तो बेचती है और न ही तीसरे पक्ष के साथ साझा करती है। इसी वजह से कई संस्थान, सरकारी एजेंसियां और निजी कंपनियां इसे एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देख रही हैं।
ZOHO का एक और बड़ा फायदा है इसकी किफायती प्राइसिंग। जहां Microsoft 365 या Google Workspace के बिजनेस प्लान्स छोटे व्यवसायों के लिए महंगे साबित होते हैं, वहीं ZOHO इन सेवाओं को काफी कम कीमत में प्रदान करता है। कंपनी ने भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे उभरते बाजारों के लिए विशेष प्राइसिंग स्ट्रक्चर तैयार किया है, जिससे छोटे स्टार्टअप भी उच्च गुणवत्ता वाले बिजनेस टूल्स का उपयोग कर पा रहे हैं।
ZOHO के सीईओ श्रीधर वेम्बू का कहना है कि कंपनी का मकसद “भारत से विश्व स्तर पर तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना” है। उनका मानना है कि भविष्य में डेटा सुरक्षा और इंटीग्रेशन ही वह दो क्षेत्र होंगे जो किसी भी सॉफ्टवेयर कंपनी की सफलता तय करेंगे — और ZOHO दोनों में आगे है।
आज ZOHO के ग्राहक 180 से अधिक देशों में फैले हुए हैं और इसके लाखों यूजर्स हर महीने इसके क्लाउड-बेस्ड ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में ZOHO न केवल भारतीय आईटी इंडस्ट्री का गर्व बनेगा बल्कि गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गजों के लिए एक गंभीर चुनौती भी साबित हो सकता है।
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