World Mental Health Day 2025: करवा चौथ के बीच उठता सवाल — देश के पुरुषों का मानसिक स्वास्थ्य कितना ठीक?


 World Mental Health Day 2025 और करवा चौथ जैसे त्योहार एक तरफ पारिवारिक और सामाजिक खुशी लेकर आते हैं, वहीं यह समय पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने का भी अवसर है। भारतीय समाज में लंबे समय से यह परंपरा रही है कि पुरुष मजबूत, कमाऊ और भावनात्मक रूप से कठोर हों। अपनी कमजोरियों को छिपाना, भावनाओं को व्यक्त न करना और हमेशा “सब ठीक है” दिखाना उनके लिए आदर्श माना गया है।

भारतीय पुरुषों और मानसिक स्वास्थ्य

विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं अक्सर अनदेखी रह जाती हैं। समाज में यह धारणा है कि दुख, चिंता और भावनात्मक असमर्थता को पुरुष व्यक्त न करें। परिणामस्वरूप:

  1. तनाव और चिंता बढ़ती है: करियर, परिवार और सामाजिक दबाव के कारण कई पुरुष लगातार तनाव में रहते हैं।

  2. भावनाओं का दमन: भावनाओं को दबाने से डिप्रेशन, चिंता और गुस्से जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

  3. मदद लेने में हिचक: पुरुष अक्सर मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मदद लेने में हिचक महसूस करते हैं, क्योंकि यह “कमजोरी” माना जाता है।

  4. असंतुलित जीवनशैली: लंबे समय तक भावनाओं को दबाने और लगातार काम के दबाव में रहने से नींद, आहार और सामाजिक संबंध प्रभावित होते हैं।

सामाजिक और मानसिक असर

  • अकेलापन और अलगाव: अपने मानसिक तनाव को साझा न करने से पुरुष अकेलापन महसूस कर सकते हैं।

  • स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर: लगातार तनाव और दबाव से दिल, ब्लड प्रेशर और नींद जैसी शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं।

  • रिश्तों में दूरी: परिवार और दोस्तों के साथ भावनाओं को साझा न करने से संबंध कमजोर पड़ सकते हैं।

क्या किया जा सकता है?

  1. भावनाओं को व्यक्त करना सीखें: खुद से या भरोसेमंद दोस्तों/परिवार के साथ बात करना शुरू करें।

  2. मदद लेने में संकोच न करें: मनोचिकित्सक या काउंसलर से सलाह लेना सामान्य और जरूरी है।

  3. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करते हैं।

  4. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन: ध्यान और मानसिक व्यायाम से तनाव कम और मानसिक संतुलन बढ़ता है।

  5. समाज में जागरूकता बढ़ाएं: मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर चर्चा करने से पुरुष भी अपनी समस्याओं को साझा करने में सहज महसूस करेंगे।

निष्कर्ष:
भारतीय समाज में पुरुषों को हमेशा “मजबूत” दिखाने का दबाव रहा है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना गंभीर परिणाम दे सकता है। World Mental Health Day 2025 हमें याद दिलाता है कि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य। भावनाओं को व्यक्त करना, मदद लेना और खुद का ख्याल रखना कमजोरी नहीं बल्कि सच्ची ताकत है।

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