भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में महिलाओं में हार्ट डिजीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि अक्सर महिलाएं दिल की बीमारी के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज कर देती हैं, क्योंकि वे इसे गैस, थकान या सामान्य कमजोरी समझ लेती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, तनाव, गलत जीवनशैली, हार्मोनल बदलाव और समय पर जांच न होना इसकी सबसे बड़ी वजहों में शामिल हैं।
महिलाओं को दिल की बीमारी का ज्यादा खतरा क्यों?
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट डिजीज के लक्षण अलग और कम स्पष्ट होते हैं। कई बार बीमारी का पता तब चलता है, जब हालत गंभीर हो जाती है।
मुख्य कारण:
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लंबे समय तक मानसिक तनाव और जिम्मेदारियों का बोझ
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अनियमित दिनचर्या और जंक फूड का सेवन
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व्यायाम की कमी और वजन तेजी से बढ़ना
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शुगर, थायराइड और हाई BP जैसी समस्याएं
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रजोनिवृत्ति (Menopause) के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का कम होना
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धूम्रपान या शराब की लत
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नींद की कमी और लगातार थकान
विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाएं घर और ऑफिस के बीच खुद को प्राथमिकता नहीं दे पातीं, जिसका असर दिल पर पड़ता है।
किन लक्षणों को बिल्कुल न करें इग्नोर?
महिलाओं में हार्ट अटैक के संकेत अक्सर पारंपरिक लक्षणों जैसे तेज सीने में दर्द की तरह नहीं दिखते।
खास लक्षण:
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सीने में हल्का दबाव या असहजता
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पीठ, गर्दन, जबड़े या कंधे में दर्द
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अचानक पसीना आना या उलझन महसूस होना
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सांस फूलना, ज्यादा थकान
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चक्कर आना या मतली
अगर ऐसे संकेत बार-बार नजर आएं तो इसे सामान्य गलती न मानें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कैसे रखें दिल का ध्यान?
कुछ आसान बदलाव आपकी हार्ट हेल्थ को सुरक्षित कर सकते हैं:
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हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम
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वजन और शुगर लेवल नियंत्रित रखें
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7–8 घंटे की नींद जरूरी
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फल, सब्जियां, ओमेगा-3 से भरपूर आहार लें
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धूम्रपान और शराब से दूरी
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तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान
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35+ उम्र के बाद नियमित हार्ट चेकअप कराएं
निष्कर्ष
दिल की बीमारी अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है। महिलाओं में इसके लक्षण अक्सर अलग होते हैं—इसलिए जागरूकता और समय पर उपचार बेहद जरूरी है। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें, क्योंकि स्वास्थ्य ही आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
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