WHO की चेतावनी: एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बढ़ा रहा खतरा, भारत में रेजिस्टेंस की दर चिंताजनक


 विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत सहित दुनिया भर में एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotics) के उपयोग को लेकर चेतावनी जारी की है। 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, हर छह में से एक बैक्टीरियल संक्रमण एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी पाया गया। इसका मतलब है कि कई सामान्य दवाओं से अब बैक्टीरिया ठीक नहीं हो पा रहे हैं।

विशेष रूप से भारत में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (Antibiotic Resistance) की दर काफी अधिक देखी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका प्रमुख कारण दवाओं का गलत और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल है। लोग अक्सर बुखार या खांसी-जुकाम जैसे मामूली संक्रमण में भी बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन कर लेते हैं, जिससे बैक्टीरिया जल्दी से दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी हो जाते हैं।

WHO की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। अगर इसका सही समय पर समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसे संक्रमणों का इलाज बहुत मुश्किल हो जाएगा और सामान्य सर्जरी और कैंसर जैसी प्रक्रियाओं में भी जोखिम बढ़ जाएगा।

विशेषज्ञों की सलाह:

  • एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

  • दवा को हमेशा पूरी खुराक और समय पर लें, बीच में बंद न करें।

  • खुद से कोई दवा न बदलें और न ही शेयर करें।

  • स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा दी गई एंटीबायोटिक गाइडलाइन्स का पालन करें।

  • संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छता, हाथ धोना और टीकाकरण का ध्यान रखें।

भारत में बढ़ती आबादी और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमाओं को देखते हुए, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है। WHO ने देश के स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सर्विलांस सिस्टम मजबूत किया जाए, और लोगों में दवाओं के सही इस्तेमाल को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाए।

कुल मिलाकर, एंटीबायोटिक दवाओं का अनियंत्रित और गलत उपयोग बैक्टीरिया को खतरनाक रूप से मजबूत बना रहा है। समय रहते अगर सावधानी नहीं बरती गई, तो भविष्य में सामान्य संक्रमण भी जानलेवा साबित हो सकते हैं।

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