WHO Concern Over Cough Syrup Deaths: भारत की दवा निगरानी प्रणाली पर उठे सवाल, सरकार ने कहा—कड़े मानक लागू
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत निर्मित कफ सिरप से जुड़ी मौतों के मामलों पर गंभीर चिंता जताते हुए भारतीय अधिकारियों से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है। संगठन ने यह जानना चाहा है कि भारत में बच्चों की दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा की निगरानी किस तरह से की जाती है और संभावित दुष्प्रभावों का रिकॉर्ड कैसे रखा जाता है।
भारत से जवाब तलब
WHO की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि “भारत दुनिया के सबसे बड़े दवा उत्पादकों में से एक है, इसलिए बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाओं की निगरानी प्रणाली पारदर्शी और सख्त होनी चाहिए।”
संगठन ने हाल के महीनों में दर्ज किए गए कुछ मामलों का उल्लेख किया है, जिनमें भारत निर्मित कफ सिरप को अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों में बच्चों की मौतों से जोड़ा गया था।
भारत का पक्ष
भारत सरकार ने WHO के सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि देश में दवा निर्माण और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य स्तरीय ड्रग कंट्रोल विभाग जिम्मेदार हैं।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि “भारत ने दवा निर्माण इकाइयों के लिए जीएमपी (Good Manufacturing Practices) के सख्त मानक लागू किए हैं और किसी भी शिकायत पर जांच तुरंत शुरू की जाती है।”
इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने WHO से यह भी कहा है कि “भारत अपने निर्यातित उत्पादों की गुणवत्ता पर लगातार निगरानी रखता है, और कुछ मामलों में स्थानीय स्तर पर हुई गलतियों की भी जांच जारी है।”
वैश्विक संदर्भ और भारत की भूमिका
भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फार्मास्युटिकल उत्पादक है और 200 से अधिक देशों को दवाओं का निर्यात करता है।
सरकारी अनुमानों के अनुसार, अगले 10 वर्षों में भारत का फार्मा निर्यात 130 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है — जो मौजूदा स्तर से लगभग 10 गुना अधिक होगा।
हालांकि, दवा निर्माण में गुणवत्ता को लेकर बार-बार उठ रहे अंतरराष्ट्रीय सवाल इस प्रगति पर साया डाल सकते हैं।
आगे की चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी दवा परीक्षण प्रणाली, निगरानी नेटवर्क और ट्रेसिंग मैकेनिज़्म को और मजबूत करना होगा। साथ ही, निर्यात से पहले हर बैच के लिए पारदर्शी लैब टेस्टिंग की प्रक्रिया सुनिश्चित करनी होगी।
WHO की चेतावनी भारत के लिए एक अवसर भी है — अपनी फार्मा इंडस्ट्री की विश्वसनीयता को फिर से सुदृढ़ करने का।
यदि भारत इन सवालों का ठोस जवाब देकर कड़े गुणवत्ता नियंत्रण मानक स्थापित कर पाता है, तो न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि भारत की “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” की छवि और भी मजबूत बन जाएगी।
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