ट्रंप का शांति पर जोर, पुरस्कारों से दूरी
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार की नहीं, बल्कि मानव जीवन बचाने की परवाह है। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई विश्लेषक अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जता रहे हैं।
“पुरस्कार नहीं, लोगों की सुरक्षा ज़रूरी” – ट्रंप
ट्रंप ने कहा, “मुझे किसी पुरस्कार की परवाह नहीं। मुझे फर्क पड़ता है तो बस इस बात से कि कितनी जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। अगर मैं किसी संघर्ष को रोक पाता हूं, तो वही मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे कदम उठाए, जिससे दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध और हिंसा को कम किया जा सका।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान विवाद पर ट्रंप का बयान
ट्रंप ने दावा किया कि वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को “बहुत आसानी से सुलझा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि अगर उनके नेतृत्व में बातचीत होती, तो दोनों देशों के बीच स्थायी शांति स्थापित की जा सकती थी। ट्रंप ने याद दिलाया कि अपने राष्ट्रपति कार्यकाल में उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का फैसला लेकर एक बड़ा कदम उठाया था, जो आगे जाकर स्थायी शांति की दिशा में अहम साबित हुआ।
ट्रंप की शांति पहल और पिछले दावे
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने नोबेल पुरस्कार को लेकर बयान दिया हो। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि “कई नेताओं को मुझसे कम काम करने पर पुरस्कार मिल गया, लेकिन मैं सम्मान के बजाय नतीजों पर ध्यान देता हूं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर उनके फैसलों से दुनिया में एक भी युद्ध रुकता है, तो वही उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान उनके पुराने रुख की पुनः पुष्टि करता है कि वह पुरस्कारों से ज्यादा शांति और मानवता की भलाई को प्राथमिकता देते हैं। अफगानिस्तान-पाकिस्तान विवाद पर उनकी टिप्पणी ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में चर्चा छेड़ दी है। अब देखना यह होगा कि ट्रंप की यह कूटनीतिक बयानबाजी आने वाले अमेरिकी चुनावों में किस तरह असर डालती है।
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