अमेरिकी राष्ट्रपति के एशिया दौरे के दौरान जापान की राजधानी टोक्यो में एक दिलचस्प और कूटनीतिक रूप से अहम घटनाक्रम देखने को मिला है। जापान ने कथित तौर पर उन देशों की सूची में जगह बना ली है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश कर चुके हैं। यह कदम ऐसे समय में आया है जब ट्रंप जापान के साथ रक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा पर गहन वार्ताओं में लगे हुए हैं।
टोक्यो में हुआ औपचारिक स्वागत
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने चार दिवसीय दौरे की शुरुआत जापान के सम्राट नरुहितो और महारानी मासाको से मुलाकात के साथ की। यह मुलाकात जापान के इम्पीरियल पैलेस में हुई, जहां ट्रंप का पारंपरिक जापानी शैली में स्वागत किया गया। दोनों देशों के संबंधों की 70 से अधिक वर्षों की साझेदारी को रेखांकित करते हुए सम्राट नरुहितो ने इस मुलाकात को “नई सदी की मित्रता का प्रतीक” बताया।
ट्रंप ने भी अपने बयान में कहा कि अमेरिका और जापान के बीच गठबंधन “इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता की रीढ़” है।
यूएसएस जॉर्ज वाशिंगटन पर विशेष मुलाकात
मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति टोक्यो के योकोसुका नौसैनिक अड्डे पर स्थित अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस जॉर्ज वाशिंगटन पर तैनात अमेरिकी और जापानी सैनिकों से मुलाकात करेंगे। इस दौरान वे दोनों देशों की संयुक्त सैन्य साझेदारी और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग की समीक्षा करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, इस कार्यक्रम में ट्रंप दोनों देशों के सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त करेंगे और एशिया में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता को दोहराएंगे।
नोबेल नामांकन पर बढ़ी चर्चा
इस बीच, जापान की ओर से ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की खबरों ने अंतरराष्ट्रीय हलचल मचा दी है। बताया जा रहा है कि जापानी प्रधानमंत्री ने 2019 में उत्तर कोरिया के साथ ट्रंप की कूटनीतिक पहल को देखते हुए उनके नाम की अनुशंसा की थी। अब इस यात्रा के दौरान यह चर्चा फिर से तेज हो गई है।
ट्रंप के समर्थक इसे उनके “शांति स्थापित करने वाले नेतृत्व” का प्रतीक मान रहे हैं, जबकि आलोचक इसे राजनीतिक रणनीति करार दे रहे हैं।
दौरे का उद्देश्य और प्रभाव
ट्रंप का यह जापान दौरा दोनों देशों के आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दौरा न केवल इंडो-पैसिफिक रणनीति को गति देगा, बल्कि चीन और उत्तर कोरिया के प्रति संयुक्त रुख को भी सशक्त करेगा।
कुल मिलाकर, यह यात्रा अमेरिका-जापान संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है — जहां रक्षा, व्यापार और कूटनीति के बीच संतुलन कायम रखते हुए वैश्विक शांति की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
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