US-China Relations: ट्रंप-जिनपिंग बैठक में 10% टैरिफ में कमी और दुर्लभ खनिज समझौता, तनावों के बीच बढ़ी नजदीकियां


 अमेरिका और चीन के बीच पिछले कई वर्षों से चले आ रहे आर्थिक और रणनीतिक तनावों के बीच अब संबंधों में नरमी के संकेत दिखाई देने लगे हैं। गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के बुसान शहर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस मुलाक़ात को इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच लंबे समय से टैरिफ, तकनीकी प्रतिस्पर्धा और भू-राजनीतिक मुद्दों पर विवाद गहरा रहा था।

बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश को लेकर सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। सबसे अहम बात यह रही कि ट्रंप प्रशासन ने चीन पर लगाए गए 10% आयात शुल्क यानी टैरिफ में कटौती करने का निर्णय लिया। यह कदम ऐसे समय में आया है जब चीन रूस से बड़े स्तर पर कच्चा तेल खरीद रहा है, जिसकी वजह से पश्चिमी देशों में असंतोष देखा गया है। इसके बावजूद अमेरिका के इस फैसले को व्यापारिक हितों को प्राथमिकता देने के रूप में देखा जा रहा है।

इसी बातचीत में दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Minerals) पर भी एक बड़ा समझौता हुआ। दुर्लभ खनिज रेलवे, रक्षा, स्मार्ट गैजेट्स और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे हाई-टेक सेक्टर की रीढ़ माने जाते हैं। अब अमेरिका और चीन इस क्षेत्र में सप्लाई चेन को स्थिर बनाने के लिए सहयोग बढ़ाएँगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता वैश्विक तकनीकी बाज़ार में बड़ा बदलाव ला सकता है, क्योंकि चीन दुनिया में दुर्लभ खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है।

बैठक के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने मीडिया से कहा कि अमेरिका और चीन के बीच अब “सभी विवाद निपटा लिए गए हैं”, और दोनों देश बेहतर भविष्य के लिए साथ काम करेंगे। हालांकि विशेषज्ञों का मत है कि दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा खत्म नहीं हुई है, बल्कि अभी केवल संघर्ष को विराम दिया गया है। व्यापार, साइबर सुरक्षा और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य प्रभाव को लेकर मतभेद आगे भी बने रह सकते हैं।

इसके बावजूद, इस बैठक ने एक सकारात्मक माहौल तैयार किया है, जिससे वैश्विक बाज़ारों में स्थिरता लौटने की उम्मीद है। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि यह समझौता ऊर्जा, तकनीकी उद्योग और वैश्विक सप्लाई चेन पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।

कुल मिलाकर, बुसान में हुई ट्रंप-जिनपिंग मुलाक़ात को विश्व राजनीति में एक अहम मोड़ माना जा रहा है, जिसने अमेरिका-चीन संबंधों को फिर से सहयोग की राह पर आगे बढ़ाने का संकेत दिया है।

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