त्योहार के सीजन में मिलावटखोर सक्रिय
दिवाली का त्योहार नजदीक है और बाजारों में मिठाइयों व डेयरी उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसी बीच उत्तर प्रदेश में नकली पनीर बनाने का बड़ा खुलासा हुआ है। खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में सामने आया है कि राज्य के कई जिलों में यूरिया, डिटर्जेंट और टिनोपल जैसे रसायनों का उपयोग करके नकली पनीर तैयार किया जा रहा है।
यह मिलावटी पनीर असली पनीर जैसा दिखता तो है, लेकिन यह सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूरिया और डिटर्जेंट जैसे तत्व शरीर में पहुंचकर लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कैसे बनाया जा रहा है नकली पनीर
जांच अधिकारियों के अनुसार, मिलावटखोर सबसे पहले दूध में यूरिया और डिटर्जेंट मिलाते हैं ताकि वह गाढ़ा और झागदार लगे। फिर उसमें सिंथेटिक फैट या तेल मिलाया जाता है ताकि पनीर जैसा बनावट और स्वाद मिले। इसके बाद, चमक बढ़ाने और उसे ताजा दिखाने के लिए टिनोपल (Tinopal) नामक केमिकल का प्रयोग किया जाता है — जो सामान्यतः कपड़ों को चमकाने वाले डिटर्जेंट में इस्तेमाल होता है।
यही वजह है कि यह नकली पनीर देखने में तो सफेद और मुलायम लगता है, लेकिन यह मानव शरीर के लिए धीमा ज़हर साबित हो सकता है।
जांच में कई नमूने फेल
खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा किए गए हालिया छापों में कई डेयरी यूनिट और मिठाई की दुकानों से लिए गए पनीर के नमूने जांच में फेल पाए गए। कई जगहों पर नकली पनीर को खुलेआम असली बताकर बेचा जा रहा था। अधिकारियों ने ऐसे उत्पादकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे नकली पनीर के सेवन से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, लीवर डैमेज और किडनी फेल्योर तक के मामले सामने आ सकते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह विशेष रूप से खतरनाक है।
जनता के लिए सतर्कता जरूरी
अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि दिवाली पर मिठाइयां या पनीर खरीदते समय सतर्क रहें। बहुत ज्यादा सफेद या अत्यधिक चमकदार पनीर नकली हो सकता है। असली पनीर हल्के पीले रंग का और हल्की सुगंध वाला होता है, जबकि नकली में साबुन जैसी गंध आ सकती है।
त्योहार की खुशी में अगर थोड़ी सी लापरवाही हो जाए, तो यह सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। इसलिए खरीदारी के समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
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