अक्सर लोग फ्लू को एक सामान्य सर्दी-जुकाम मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। हल्का बुखार, सिरदर्द, खांसी या कमजोरी दिखाई दे तो लोग इसे मामूली मानकर घर पर ही आराम करने की सोचते हैं। लेकिन हालिया शोध इस धारणा को गलत ठहरा रहा है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 155 से अधिक अध्ययनों की समीक्षा करने के बाद बड़ा दावा किया है—कोविड, फ्लू या किसी भी लंबे समय तक रहने वाले वायरल संक्रमण से दिल संबंधी गंभीर बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है।
शोध में क्या सामने आया?
रिपोर्ट की मुख्य बातें:
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वायरस शरीर में सूजन बढ़ाता है, जिससे धमनियां प्रभावित होती हैं
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रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है
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संक्रमण के बाद 6 से 12 महीनों तक हार्ट अटैक या स्ट्रोक का जोखिम अधिक रहता है
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जिन लोगों को पहले से हृदय रोग की समस्या है, उनके लिए खतरा दोगुना हो सकता है
विशेषज्ञों का कहना है कि वायरल इंफेक्शन इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है, जिससे हृदय को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। यह दिल की धमनियों पर दबाव डालता है और अचानक कार्डियक अरेस्ट या ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
किन लक्षणों को हल्के में बिलकुल न लें?
फ्लू के दौरान अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
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सीने में दर्द या भारीपन
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सांस लेने में तकलीफ
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अत्यधिक थकान या चक्कर आना
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दिल की धड़कन अनियमित होना
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शरीर में अचानक सुन्नपन
ये संकेत दिल पर बढ़ते दबाव की ओर इशारा कर सकते हैं।
कैसे बचें इस खतरे से?
विशेषज्ञ इन उपायों की सलाह देते हैं:
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फ्लू और कोविड-19 की वैक्सीन समय पर लगवाएं
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संक्रमण के दौरान पूरी तरह आराम करें
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शरीर में पानी की कमी न होने दें
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धूम्रपान और शराब से दूरी बनाए रखें
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ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें
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पोषक भोजन और नियमित व्यायाम अपनाएं
निष्कर्ष
फ्लू को कभी भी मामूली बीमारी न समझें। यह केवल सर्दी-जुकाम नहीं, बल्कि दिल की सेहत के लिए संभावित खतरा भी है। अगर आप या आपके परिवार में कोई व्यक्ति वायरल बीमारी से जूझ रहा है, तो सावधानी और मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है। याद रखें — छोटी सी लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती
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