रिपोर्ट बताती है कि साल 2023 तक भारत में एनसीडी से होने वाली मौतों की संख्या ने संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों को पीछे छोड़ दिया है। इसका मतलब है कि अब दिल की बीमारी, डायबिटीज, कैंसर, स्ट्रोक, हाइपरटेंशन और मोटापा जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां भारत में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बन चुकी हैं।
अध्ययन के अनुसार, असंतुलित खानपान, शारीरिक निष्क्रियता, नींद की कमी, धूम्रपान, शराब का सेवन और तनाव जैसे कारण इन बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। आज के समय में 18 से 35 वर्ष के युवाओं में हृदय रोग और स्ट्रोक जैसे मामले तेजी से बढ़े हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि “काम का अत्यधिक दबाव और डिजिटल लाइफस्टाइल” इस बदलाव की सबसे बड़ी वजहों में से एक है।
डॉ. आर.के. अग्रवाल, कार्डियोलॉजिस्ट, के मुताबिक – “लोग फिटनेस के नाम पर दिखावे में उलझे रहते हैं, लेकिन असल में संतुलित आहार और नींद पर ध्यान नहीं देते। यही भविष्य में गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।”
लैंसेट की रिपोर्ट यह भी बताती है कि ग्रामीण भारत में भी अब ये बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। पहले जहां एनसीडी केवल शहरी समस्या मानी जाती थी, वहीं अब खराब आहार, फास्ट फूड और तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण यह हर वर्ग तक पहुंच चुकी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लोगों ने जीवनशैली में सुधार, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद को अपनाया, तो इन बीमारियों से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
यह अध्ययन भारत के लिए एक चेतावनी है — अगर आज भी हमने अपनी दिनचर्या नहीं सुधारी, तो आने वाले वर्षों में नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज़ देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य आपदा साबित हो सकती हैं।
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