भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र (UN) की संरचना और कामकाज पर बड़ा सवाल उठाया है। बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदान देने वाले देशों के सम्मेलन (UNTCC) में उन्होंने कहा कि आज का संयुक्त राष्ट्र अब भी 1945 की मानसिकता में जी रहा है, जबकि दुनिया 21वीं सदी में काफी आगे बढ़ चुकी है।
जयशंकर का सीधा संदेश: सुधार जरूरी
सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि “संयुक्त राष्ट्र को आज की वास्तविकताओं के अनुसार खुद को ढालना होगा। दुनिया अब वैसी नहीं रही जैसी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद थी।” उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता तभी बनी रह सकती है जब वह विकासशील देशों की आवाज़ को अधिक महत्व दे।
उनके अनुसार, ग्लोबल साउथ (Global South) की आकांक्षाओं को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं है। अगर संयुक्त राष्ट्र को प्रभावी और प्रतिनिधिक संस्थान बने रहना है, तो उसे अपनी संरचना, प्राथमिकताओं और निर्णय प्रक्रिया में व्यापक बदलाव लाने होंगे।
भारत की पुरानी मांग – यूएन में सुधार और स्थायी सीट
भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की मांग करता आ रहा है। भारत का कहना है कि सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्रणाली आज के वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रतिबिंबित नहीं करती। जयशंकर ने अपने भाषण में यह भी संकेत दिया कि दुनिया की आबादी और अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा अब एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में है, फिर भी इन क्षेत्रों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
भारत की भूमिका और जिम्मेदारी
जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत न केवल संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों (UN Peacekeeping Missions) में सबसे बड़ा योगदानकर्ता देशों में से एक है, बल्कि विश्व स्तर पर शांति, विकास और मानवता के मुद्दों पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
निष्कर्ष: नई दुनिया को नया ढांचा चाहिए
जयशंकर का यह बयान उस समय आया है जब वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज़ पहले से अधिक प्रभावशाली हो चुकी है। उनका संदेश स्पष्ट था — अगर संयुक्त राष्ट्र को प्रासंगिक बने रहना है, तो उसे पुराने ढांचे से बाहर निकलकर नई दुनिया की वास्तविकताओं को अपनाना होगा।
भारत का यह रुख न केवल उसकी स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वैश्विक शासन के सुधार की दिशा में भारत कितनी दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है।
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