ISRO: ‘2040 तक भारत बनेगा स्पेस सुपरपावर; मोदी की दूरदर्शिता से अंतरिक्ष में रचेगा इतिहास’, इसरो प्रमुख बोले

ISRO Vision 2040: भारत की अंतरिक्ष यात्रा नई ऊंचाइयों पर, संचार, उपग्रह और मानव मिशन में दुनिया को पीछे छोड़ने की तैयारी

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस. सोमनाथ नारायणन ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी नीतियों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के चलते भारत 2040 तक स्पेस सुपरपावर बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत न केवल उन्नत उपग्रह तकनीक में आत्मनिर्भर होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष मिशनों का नेतृत्व भी करेगा।

भारत की मौजूदा उपलब्धियां

इसरो प्रमुख ने बताया कि वर्तमान में भारत 354 ट्रांसपोंडर और 73 जीबीपीएस उच्च-थ्रूपुट क्षमता वाले 18 संचार उपग्रहों का संचालन कर रहा है।
इनमें जीसैट-11 उपग्रह सबसे महत्वपूर्ण है, जिसका वजन करीब 6,000 किलोग्राम है। यह उपग्रह अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और देश के दूरस्थ इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट और संचार सेवाएं सुनिश्चित कर रहा है।
इसके अलावा, इसरो के पास नेविगेशन, पृथ्वी अवलोकन और मौसम पूर्वानुमान से जुड़े कई उपग्रह भी सक्रिय हैं, जो भारत की तकनीकी क्षमता को नए स्तर पर ले जा रहे हैं।

भविष्य की योजनाएं और विजन 2040

इसरो प्रमुख के अनुसार, “भारत 2040 तक एक ऐसा अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर लेगा जो वैज्ञानिक, औद्योगिक और रक्षा तीनों मोर्चों पर आत्मनिर्भर होगा।”
भारत आने वाले वर्षों में गगनयान मानव मिशन, चंद्रयान-4, और सौर मिशन ‘आदित्य-L2’ जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स को अंजाम देगा।
इसके अलावा, इसरो का लक्ष्य स्पेस इंडस्ट्री में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना है ताकि भारत में स्पेस स्टार्टअप्स का तेजी से विकास हो सके।

मोदी की दूरदर्शिता से मिली गति

नारायणन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को लेकर जिस स्पष्ट दृष्टि और राजनीतिक समर्थन का प्रदर्शन किया है, उसने इसरो को नई ऊर्जा दी है।
उन्होंने बताया कि सरकार की “स्पेस इकोनॉमी विजन” नीति के तहत भारत 2040 तक वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में 8-10% हिस्सेदारी हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है।

निष्कर्ष

भारत की अंतरिक्ष यात्रा अब केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है।
इसरो प्रमुख के शब्दों में—“अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो 2040 तक भारत न केवल चंद्रमा और मंगल की सतह पर नए अध्याय लिखेगा, बल्कि विश्व का प्रमुख स्पेस सुपरपावर बनकर उभरेगा।”

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