India Oil-Russia Trade: ट्रंप का दावा कि भारत बंद करेगा रूस से तेल खरीद, लेकिन आंकड़े क्या कहते हैं?


 पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया है कि भारत जल्द ही रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद कर देगा। ट्रंप के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाज़ार में हलचल मचा दी है। लेकिन क्या वास्तव में भारत रूस से तेल खरीदना बंद करने जा रहा है? मौजूदा आंकड़े और नीतियां कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।

भारत और रूस का तेल व्यापार: तेजी से बढ़ता संबंध

फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से तेल आयात में जबरदस्त बढ़ोतरी की है। उस समय जहां रूस भारत के लिए एक छोटा आपूर्तिकर्ता था, वहीं अब वह भारत का सबसे बड़ा कच्चे तेल का स्रोत बन चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत हर महीने रूस से औसतन 15-17 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात कर रहा है। यह संख्या युद्ध से पहले के मुकाबले कई गुना अधिक है।

अमेरिका की आपत्तियां और भारत का रुख

ट्रंप प्रशासन के दौरान भी अमेरिका ने भारत पर रूस और ईरान से तेल खरीद बंद करने का दबाव बनाया था। उस समय धमकियों और टैरिफ लगाने की चेतावनी के बावजूद भारत ने अपनी नीति नहीं बदली। भारत का तर्क है कि उसकी विदेश नीति ‘राष्ट्रीय हित’ और ‘ऊर्जा सुरक्षा’ पर आधारित है। दिल्ली का कहना है कि सस्ती ऊर्जा खरीदना उसका अधिकार है और यह किसी के खिलाफ नहीं है।

क्यों नहीं रुकेगा रूस से तेल आयात?

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और अपनी खपत का लगभग 85% हिस्सा आयात करता है। ऐसे में सस्ता रूसी तेल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है। रूस भारत को छूट वाली कीमतों पर तेल बेच रहा है, जिससे देश को अरबों डॉलर की बचत हो रही है। इसके अलावा, भारत तेल का बड़ा हिस्सा रिफाइन कर पुनः निर्यात भी करता है, जो उसके लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है।

आंकड़ों में सच्चाई

ताज़ा व्यापारिक आंकड़े बताते हैं कि रूस से तेल आयात में किसी तरह की गिरावट नहीं आई है। अगस्त 2025 तक के डेटा के अनुसार, रूस अब भी भारत को सबसे अधिक तेल सप्लाई कर रहा है।
इससे साफ है कि ट्रंप का दावा राजनीतिक बयान ज़्यादा लगता है, न कि वास्तविकता पर आधारित। भारत फिलहाल अपनी संतुलित और स्वतंत्र ऊर्जा नीति पर कायम है, और निकट भविष्य में रूस से तेल खरीद बंद करने की संभावना बेहद कम है।

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