GTRI Report: ट्रंप के टैरिफ के बाद गहराया व्यापार संकट, अमेरिका को भारतीय निर्यात में 37.5% की भारी गिरावट


 अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के फैसले का असर अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार महीनों में अमेरिका को भारत के निर्यात में 37.5 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट न केवल व्यापारिक आंकड़ों में झलक रही है, बल्कि भारत-अमेरिका आर्थिक रिश्तों पर भी इसका गहरा असर पड़ा है।

ट्रंप के टैरिफ से बढ़ा दबाव

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में "अमेरिकी उद्योगों की सुरक्षा" के नाम पर भारत सहित कई देशों से आने वाले उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया था। इस फैसले से भारत के टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, ऑटो पार्ट्स और फार्मा सेक्टर पर सीधा असर पड़ा है। कई भारतीय निर्यातकों ने बताया कि इतने ऊंचे शुल्कों के कारण अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा काफी घट गई है।

GTRI की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच अमेरिका को भारत के कुल निर्यात में लगभग 37.5% की कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका को निर्यात घटने से भारत का कुल विदेशी व्यापार संतुलन भी बिगड़ने लगा है।
रिपोर्ट का यह भी कहना है कि टैरिफ बढ़ने से सप्लाई चेन बाधित हुई है और कई भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी ऑर्डर अस्थायी रूप से रोक दिए हैं।

कौन-कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए?

  1. टेक्सटाइल और परिधान उद्योग – अमेरिकी बाजार भारत के लिए सबसे बड़ा था, लेकिन अब ऑर्डर घटने से छोटे निर्यातकों पर असर पड़ा है।

  2. जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर – टैरिफ से भारतीय डायमंड और ज्वेलरी महंगी हो गई है, जिससे अमेरिकी खरीदार वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं।

  3. फार्मास्युटिकल्स – दवाओं और मेडिकल उपकरणों के निर्यात में भी गिरावट आई है, हालांकि इसका असर अपेक्षाकृत कम रहा है।

भारत का रुख और आगे की रणनीति

भारत सरकार ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह ट्रेड बैलेंस सुधारने और वैकल्पिक बाजारों को तलाशने की दिशा में काम कर रही है। सरकार अमेरिका के साथ टैरिफ पुनर्विचार वार्ता शुरू करने की तैयारी में है।

निष्कर्ष

ट्रंप के टैरिफ फैसले ने भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव की नई लकीर खींच दी है। GTRI की रिपोर्ट से यह साफ है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो यह गिरावट भारत के निर्यात क्षेत्र और रोज़गार पर दीर्घकालिक असर डाल सकती है।

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