Gaza Ceasefire: अमेरिका की शर्तों से अलग इस्राइल की रणनीति, फिर भी ट्रंप का समर्थन बरकरार — जानें पूरा मामला


 गाजा में जारी संघर्ष और युद्धविराम (Ceasefire) को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार बयानबाज़ी जारी है। इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया है कि गाजा में लागू संघर्षविराम समझौते को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने इस्राइल के जवाबी सैन्य अभियानों का समर्थन करते हुए कहा कि यदि हमास आक्रामक रवैया जारी रखता है, तो उसका विनाश कर दिया जाएगा।

ट्रंप का सख्त संदेश — “हमास सही व्यवहार करे”

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस्राइल को अपनी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने का पूरा अधिकार है। उनके मुताबिक, हमास ने कई बार समझौतों का उल्लंघन किया है, ऐसे में उसके खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।
उन्होंने स्पष्ट कहा:

“अगर हमास सही व्यवहार नहीं करेगा, तो उसका अंत निश्चित है। लेकिन इसके बावजूद गाजा में युद्धविराम जारी रहेगा।”

ट्रंप का यह बयान इस बात का संकेत है कि अमेरिका, इस्राइल की सुरक्षा चिंताओं के साथ खड़ा है, भले ही इस्राइली सेना का सैन्य अभियान अमेरिका द्वारा निर्धारित शर्तों से थोड़ा अलग दिशा में क्यों न जा रहा हो।

इस्राइल की रणनीति में बदलाव के संकेत

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइल कई बार गाजा की कुछ जगहों पर जवाबी हमले जारी रख रहा है, जिसे संघर्षविराम की शर्तों के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है। बावजूद इसके, इस्राइल सरकार ने कहा है कि उनकी कार्रवाई केवल “सुरक्षा खतरे” के जवाब में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस्राइल अपनी सैन्य रणनीति में कुछ लचीलापन बनाए रख रहा है ताकि हमास को फिर से ताकत जुटाने का मौका न मिले।

युद्धविराम को बचाए रखने पर अंतरराष्ट्रीय दबाव

संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य देश मानवीय आधार पर युद्धविराम की स्थिति को बनाए रखने का दबाव बना रहे हैं, क्योंकि गाजा में मानवीय स्थिति लगातार खराब हो रही है।

  • चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी

  • विस्थापित परिवारों की संख्या में बढ़ोतरी

  • खाद्य और राहत सामग्री की सीमित उपलब्धता

ऐसे में युद्धविराम टूटने पर गाजा की परिस्थितियाँ और भी गंभीर हो सकती हैं।

क्या आगे बढ़ेगा तनाव?

ट्रंप का बयान अमेरिका-इस्राइल की साझा नीति को मजबूत करता है, लेकिन जमीनी हालात कई बार अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं। हमास और इस्राइल के बीच छोटी-मोटी झड़पें अभी भी जारी हैं, जिससे यह सवाल बना हुआ है कि क्या संघर्षविराम लंबे समय तक टिक पाएगा?

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