‘लोकल इनोवेशन ही असली आत्मनिर्भरता’
Zoho कॉर्पोरेशन के संस्थापक और सीईओ डॉ. श्रीधर वेम्बू ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ अब केवल एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि भारत की नई पहचान बन चुका है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए तकनीकी स्वायत्तता हासिल करना बेहद जरूरी है। वेम्बू का मानना है कि जब तक हम तकनीक के मूल विकास में आत्मनिर्भर नहीं बनेंगे, तब तक सच्चा "मेक इन इंडिया" पूरा नहीं होगा।
अमर उजाला के लिए डॉ. इंदुशेखर पंचोली ने तेनकासी में श्रीधर वेम्बू से उनके तीस साल के सफर, उनके संकल्प, सृजन और स्वप्न को लेकर खास बातचीत की।
‘भारत की ताकत उसके युवाओं में छिपी है’
श्रीधर ने कहा, “हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत केवल इस बात की है कि हम उन्हें अपने देश में अवसर दें। अमेरिका या यूरोप में जिस स्तर की टेक्नोलॉजी बनती है, वैसी क्षमता भारत के छोटे कस्बों में भी है, बस सही दिशा और माहौल चाहिए।” उन्होंने कहा कि Zoho जैसी कंपनियों को “ग्रामीण भारत से ग्लोबल टेक्नोलॉजी” का उदाहरण बनना चाहिए।
‘विदेशी निर्भरता कम करना ही भविष्य की कुंजी’
वेम्बू ने बताया कि वर्तमान समय में भारत को सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों में आत्मनिर्भर बनना होगा। उनका कहना है, “अगर हमारी डिजिटल और टेक्नोलॉजी व्यवस्था पूरी तरह विदेशी कंपनियों पर निर्भर रही, तो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। स्वदेशी टेक्नोलॉजी का विकास ही भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाएगा।”
उन्होंने बताया कि Zoho अपने अधिकतर सॉफ्टवेयर इन-हाउस तैयार करती है और डेटा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उनका लक्ष्य है कि भारत को ‘टेक्नोलॉजिकल एक्सपोर्ट नेशन’ के रूप में स्थापित किया जाए।
‘मेक इन इंडिया’ एक विचार नहीं, आंदोलन है
श्रीधर ने कहा, “‘मेक इन इंडिया’ अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक ब्रांड और आंदोलन बन चुका है। जब कोई भारतीय उत्पाद विदेश में देखा जाता है, तो वह सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं, बल्कि भारत की क्षमता और आत्मविश्वास का प्रतीक होता है।”
निष्कर्ष
Zoho संस्थापक श्रीधर वेम्बू की सोच यह दिखाती है कि भारत में तकनीकी स्वावलंबन केवल आर्थिक आवश्यकता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मसम्मान का प्रश्न है। उनका कहना है कि जब भारत अपनी तकनीक खुद बनाएगा, तब ही “आत्मनिर्भर भारत” का सपना पूरी तरह साकार होगा।
0 टिप्पणियाँ