दीपोत्सव, यानी दिवाली, भारत में सबसे बड़े और रंग-बिरंगे त्योहारों में से एक है। हर साल यह उत्सव 5 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें अलग-अलग दिनों पर अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले कार्यक्रम होते हैं। आमतौर पर दिवाली के 5 मुख्य दिन होते हैं – धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), दिवाली (बड़ी दिवाली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज। लेकिन दिवाली 2025 के अवसर पर यह उत्सव कुछ अलग अंदाज में मनाया जाएगा।
इस साल दिवाली 5 दिनों का नहीं बल्कि 6 दिनों का उत्सव होगा। यानी इस बार भारतीय कैलेंडर के हिसाब से उत्सव का दायरा बढ़ गया है। खास बात यह है कि छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली का जश्न एक ही दिन मनाया जाएगा, जो इसे पहले से भी विशेष और यादगार बना देता है। ऐसा होने से लोग दोनों पर्वों के महत्व को एक साथ अनुभव कर सकेंगे।
दिवाली के पहले दिन, धनतेरस, को व्यापार और स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने घर और कार्यालय में नए बर्तन, ज्वेलरी और इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदते हैं। इसके बाद आता है नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
बड़ी दिवाली के दिन, पूरे घर और मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं, और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन की रात को ही मुख्य उत्सव का अनुभव होता है। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, जो प्रकृति और भगवान कृष्ण की भक्ति का प्रतीक है। इसके बाद भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती और भाई की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है।
इस साल दिवाली 2025 के कैलेंडर में यह बदलाव उत्सव को और भी विशेष बना देगा। लोगों को अधिक समय मिलेगा कि वे अपने परिवार और मित्रों के साथ पूरी तरह से त्योहार का आनंद ले सकें। साथ ही यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी नया अनुभव लेकर आएगा।
निष्कर्ष:
दिवाली 2025 का यह 6-दिन का उत्सव न केवल पारंपरिक परंपराओं को जीवित रखेगा, बल्कि लोगों को एक साथ छोटे और बड़े दिवाली का आनंद मनाने का मौका देगा। अगर आप भी इस बार दिवाली की तैयारी में हैं, तो कैलेंडर के अनुसार अपने कार्यक्रमों को पहले से प्लान करना फायदेमंद रहेगा।
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