धनतेरस 2025 का महत्व (Dhanteras 2025 Significance)
धनतेरस, दीपोत्सव की शुरुआत का शुभ दिन है। यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से पूजा करता है, उसके घर में धन, सुख और समृद्धि का वास होता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि स्वच्छ, सुव्यवस्थित और रोशनी से भरे घर में देवी लक्ष्मी स्वयं निवास करती हैं।
धनतेरस की पौराणिक कथा (Dhanteras Katha)
प्राचीन समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब किसान रहता था। वह बहुत ईमानदार और परिश्रमी व्यक्ति था। दिन-रात खेतों में काम करता, लेकिन फिर भी उसके घर में गरीबी का साया बना रहता था। एक दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु से बोलीं — “मैं धरती पर जाकर देखना चाहती हूं कि कौन-सा घर सबसे पवित्र और मेहनती है।”
भगवान विष्णु ने अनुमति दी, और मां लक्ष्मी धरती पर आईं। उन्होंने कई घर देखे, लेकिन एक गरीब किसान के घर की सफाई, सादगी और सच्चाई देखकर बहुत प्रसन्न हुईं। किसान ने मां लक्ष्मी का बड़े सम्मान से स्वागत किया, भले ही उसके पास अधिक साधन न थे। मां लक्ष्मी उसकी सादगी और भक्ति से इतनी प्रसन्न हुईं कि उन्होंने 12 साल तक उसी किसान के घर में रहने का निर्णय लिया।
उनके वहां रहने से किसान के घर में दिन-प्रतिदिन सुख-समृद्धि बढ़ने लगी। खेतों में अनाज की भरमार हो गई, पशुधन बढ़ गया और घर में कभी कमी नहीं रही। गांव के लोग हैरान थे कि आखिर एक गरीब किसान इतना समृद्ध कैसे हो गया।
12 साल बाद जब मां लक्ष्मी जाने लगीं, तो किसान ने विनम्रता से कहा, “मां, कृपया मत जाइए, आपके बिना फिर मेरा घर सूना हो जाएगा।” इस पर मां लक्ष्मी मुस्कुराईं और बोलीं — “मैं उस घर में सदा वास करती हूं जो स्वच्छ, रोशन और पवित्र होता है, जहां मेहनत और ईमानदारी से कमाई होती है।”
धनतेरस पर सीख
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि मां लक्ष्मी केवल धन पर नहीं, बल्कि स्वच्छता, सच्चाई और मेहनत पर प्रसन्न होती हैं। इसलिए धनतेरस के दिन घर की सफाई, दीपक जलाना और सकारात्मकता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
निष्कर्ष
धनतेरस की यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची समृद्धि केवल पैसे से नहीं, बल्कि सदाचार, स्वच्छता और श्रम से आती है। जो व्यक्ति इन गुणों को अपने जीवन में अपनाता है, उसके घर में मां लक्ष्मी का सदा वास होता है।
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