CRPF-RAF: अमेरिकी सैन्य टुकड़ी के साथ ‘ड्रैगन फाइटर’ बन चुकी है आरएएफ, जानें इस विशेष इकाई की खासियत

देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) की एक विशिष्ट इकाई रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) मंगलवार, 7 अक्तूबर को अपनी 33वीं वर्षगांठ मना रही है। हर साल इस दिन आरएएफ स्थापना दिवस के रूप में उत्साहपूर्वक समारोह आयोजित किया जाता है। यह बल देश में दंगों, साम्प्रदायिक हिंसा, और आपात स्थितियों से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है।

विदेशों में भी दिखाया पराक्रम

आरएएफ की क्षमता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही है। इस बल ने विदेशों में भी भारत की छवि को मजबूत किया है। हैती में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UN Mission) के दौरान आरएएफ ने अमेरिकी सैन्य टुकड़ी के साथ मिलकर एक अभूतपूर्व अभियान चलाया था। वहां इसने 504 सैन्य पुलिस बटालियन (ड्रैगन फाइटर) का हिस्सा बनकर बेहद कठिन परिस्थितियों में चुनाव संपन्न कराए। इस मिशन के दौरान आरएएफ ने अपने साहस, अनुशासन और रणनीतिक कौशल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई।

विशेष प्रशिक्षण और संगठनात्मक ढांचा

आरएएफ की एक बड़ी खासियत इसका विशेष प्रशिक्षण और संरचना है। यह बल भीड़ नियंत्रण, साम्प्रदायिक तनाव, और आकस्मिक हिंसा जैसी स्थितियों से निपटने के लिए तत्काल तैनाती योग्य होता है। मौजूदा समय में आरएएफ की 15 बटालियनें देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हैं। इन बटालियनों को रणनीतिक रूप से उन इलाकों में तैनात किया गया है, जहां सामाजिक या साम्प्रदायिक तनाव की संभावना अधिक रहती है।

डबल अफसर सिस्टम: क्यों है अलग पहचान

आरएएफ की एक अनोखी विशेषता इसका ‘डबल अफसर सिस्टम’ है। सामान्य सीआरपीएफ बटालियनों की तुलना में आरएएफ में अधिकारियों की संख्या दो से तीन गुना अधिक होती है। इसका उद्देश्य है – तेज निर्णय लेने की क्षमता, बेहतर कमांड एंड कंट्रोल, और हर परिस्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया। इस व्यवस्था से बल की कार्यकुशलता और समन्वय में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।

अपना अलग ध्वज और गौरव

आरएएफ को उसका स्वतंत्र ध्वज प्रदान किया गया है, जो इसकी पहचान और गौरव का प्रतीक है। नीले रंग का यह ध्वज ‘शांति’ और ‘मानवता’ का प्रतीक माना जाता है। बल की वर्दी भी पारंपरिक सीआरपीएफ से भिन्न है — नीले रंग की वर्दी आरएएफ को एक अलग पहचान देती है
निष्कर्ष

रैपिड एक्शन फोर्स सिर्फ एक दंगा नियंत्रण बल नहीं, बल्कि भारत की मानवीय और शांति प्रिय नीति का प्रतीक बन चुकी है। देश में हो या विदेश में, आरएएफ ने हर चुनौती में खुद को “ड्रैगन फाइटर” के रूप में साबित किया है — एक ऐसा बल जो हर हालात में कानून, मानवता और राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के लिए तत्पर रहता है।

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