चीन ने सोशल मीडिया और इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही गलत व भ्रमित करने वाली जानकारी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाया है। सरकार ने एक नया नियम लागू किया है जिसके तहत अब हेल्थ, एजुकेशन, लॉ, फाइनेंस और साइंस जैसे संवेदनशील व विशेषज्ञता वाले विषयों पर सलाह या जानकारी साझा करने के लिए इन्फ्लुएंसर्स को उस क्षेत्र में मान्यता प्राप्त डिग्री या प्रोफेशनल लाइसेंस अनिवार्य रूप से दिखाना होगा।
क्यों लागू किया गया यह नया नियम?
पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएटर्स की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। उनमें ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो
-
बिना जानकारी
-
अधूरे तथ्यों
-
या गलत दावों
के साथ जनता को प्रभावित करते हैं।
विशेष रूप से स्वास्थ्य और वित्त क्षेत्र में गलत सलाह देने से कई लोगों को आर्थिक और शारीरिक नुकसान झेलना पड़ा। ऐसे में चीन सरकार ने इस नए नियम को जनहित और ऑनलाइन सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया है।
किन विषयों पर लगेगी योग्यता की शर्त?
नियम के अनुसार, निम्नलिखित क्षेत्रों में कंटेंट क्रिएशन करने के लिए प्रमाण दिखाना अनिवार्य होगा—
-
हेल्थ और मेडिकल सलाह
-
शिक्षा एवं करियर गाइडेंस
-
कानूनी सलाह
-
बैंकिंग, निवेश और फाइनेंस
-
वैज्ञानिक एवं तकनीकी दावे
सरकार का कहना है कि इन क्षेत्रों में साझा की गई गलत जानकारी का सीधा असर नागरिकों की जिंदगी पर पड़ता है, इसलिए डिजिटल कंटेंट में विशेषज्ञता और जिम्मेदारी जरूरी है।
कैसे होगा लागू?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया गया है कि—
इन्फ्लुएंसर्स की डिग्री/लाइसेंस वेरिफाई करें
नियमों का उल्लंघन करने वाले अकाउंट्स सस्पेंड/बैन करें
गलत जानकारी को तुरंत फ्लैग और हटाया जाए
कंटेंट क्रिएटर्स को अपने प्रोफाइल पर योग्यताओं का स्पष्ट उल्लेख भी करना होगा।
आलोचना भी शुरू
जहां कुछ लोगों ने इस नियम को सही बताया है, वहीं कई विशेषज्ञ इसे—
-
स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर नियंत्रण
-
और इंटरनेट स्वतंत्रता में दखल
के रूप में देख रहे हैं। आलोचकों का तर्क है कि हर जानकारी या विचार केवल डिग्री से तय नहीं होता।
चीन की इंटरनेट नीति और कठोर हो सकती है
चीन पहले से ही अपनी सख्त साइबर रेगुलेशन पॉलिसी के लिए जाना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आने वाले समय में—
-
कंटेंट मॉनिटरिंग
-
और ऑनलाइन नियंत्रण
को और मजबूत कर सकता है।
.jpg)
0 टिप्पणियाँ