BrahMos: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और CM योगी करेंगे पहली खेप रवाना, आत्मनिर्भर भारत के रक्षा क्षेत्र में नया मील का पत्थर

भारत की रक्षा शक्ति में ऐतिहासिक दिन

आज भारत के रक्षा इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संयुक्त रूप से ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप को रवाना करेंगे। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (UPDIC) में आयोजित किया जा रहा है। इस मौके को भारत की रक्षा उत्पादन नीति के लिए “मील का पत्थर” माना जा रहा है।

ब्रह्मोस का महत्व और ताकत

BrahMos मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से विकसित एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल अपने सटीक निशाने, गति और मारक क्षमता के लिए दुनिया भर में जानी जाती है।

रेंज: 450 से 800 किलोमीटर तक

स्पीड: Mach 2.8 से Mach 3 तक (आवाज़ की गति से लगभग तीन गुना तेज)

लॉन्च प्लेटफॉर्म: इसे जमीन, हवा, पानी और जहाज — चारों माध्यमों से लॉन्च किया जा सकता है।
यह मिसाइल भारत की “स्मार्ट डिफेंस टेक्नोलॉजी” का प्रतीक है और देश की सुरक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ाती है।


उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर के लिए बड़ा कदम

ब्रह्मोस की पहली खेप का उत्तर प्रदेश से रवाना होना UPDIC (Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor) के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यह कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य भारत को रक्षा उत्पादन में स्वदेशी ताकत बनाना है।
इससे न केवल रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि रक्षा उपकरणों के निर्यात में भी भारत आत्मनिर्भर बनेगा। ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण लखनऊ और कानपुर के डिफेंस हब में हुआ है, जो अब वैश्विक स्तर पर भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाएगा।

रक्षा मंत्री और सीएम का साझा संदेश

राजनाथ सिंह ने कहा कि “ब्रह्मोस का स्वदेशी निर्माण न केवल तकनीकी श्रेष्ठता का उदाहरण है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का प्रतीक भी है।”
वहीं, योगी आदित्यनाथ ने इसे उत्तर प्रदेश के उद्योगिक विकास और रक्षा नवाचार के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में यूपी देश का सबसे बड़ा रक्षा उत्पादन केंद्र बनेगा।

निष्कर्ष

ब्रह्मोस की पहली खेप का शुभारंभ भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नई दिशा और आत्मनिर्भरता की मिसाल है। यह कदम भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करेगा। आज का यह दिन न केवल डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि “मेक इन इंडिया” और “डिफेंस इन इंडिया” के सपने को साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि भी है।

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