भारतीय संस्कृति में घर के मुख्य द्वार पर तोरण (या बंदनवार) लगाने की परंपरा बहुत पुरानी है। यह न केवल सजावट का हिस्सा है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं।
तोरण आमतौर पर आम, अशोक या नीम की पत्तियों से बनाया जाता है। इसे घर के प्रवेश द्वार पर लटकाने का उद्देश्य होता है नकारात्मक ऊर्जा को बाहर रखना और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करना। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, तोरण देवी-देवताओं का स्वागत करता है और घर में सुख-समृद्धि लाता है।
साथ ही, वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो नीम या आम की पत्तियाँ हवा को शुद्ध करती हैं और कीटाणुओं को दूर रखती हैं। विशेष रूप से त्योहारों, गृह प्रवेश या पूजा के समय तोरण का विशेष महत्व होता है।
लेकिन जब यह तोरण सूख जाता है, तब प्रश्न उठता है कि इसका क्या करें। सूखा हुआ तोरण नकारात्मक ऊर्जा का संकेत माना जाता है, इसलिए इसे लंबे समय तक नहीं रखना चाहिए। सूखने पर तोरण को आदरपूर्वक हटा कर किसी पवित्र स्थान पर बहते पानी में प्रवाहित करना या पेड़ के नीचे रखना उचित माना जाता है।
सूखे तोरण को कूड़े में फेंकना अशुभ माना जाता है। इसके स्थान पर नया तोरण लगाकर घर में फिर से सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया जा सकता है।
इस प्रकार, तोरण केवल एक सजावटी वस्तु नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा में एक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व रखने वाला प्रतीक है।
0 टिप्पणियाँ