Israel-Hamas Peace Deal: पहले चरण में बंधकों की रिहाई और सैनिकों की वापसी पर समझौता
मध्य पूर्व में चल रहे लंबे और खूनी संघर्ष के बीच अब एक उम्मीद की किरण नजर आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि इस्राइल और हमास के बीच शांति योजना के पहले चरण पर सहमति बन गई है। इस समझौते को क्षेत्र में शांति बहाली की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है।
बंधकों की रिहाई और सैनिकों की वापसी
ट्रंप के अनुसार, इस समझौते के तहत हमास जल्द ही इस्राइल के दर्जनों बंधकों को रिहा करेगा। ये वे बंधक हैं जिन्हें पिछले एक वर्ष से अधिक समय से गाजा में कैद रखा गया था। इसके बदले में इस्राइल ने भी गाजा पट्टी के कुछ हिस्सों से अपनी सेना को धीरे-धीरे पीछे हटाने पर सहमति जताई है।
सूत्रों के अनुसार, पहले चरण के सफल होने के बाद दोनों पक्ष दूसरे चरण की बातचीत शुरू करेंगे, जिसमें युद्धविराम, पुनर्निर्माण और राजनीतिक स्थिरता पर फोकस होगा।
अमेरिका की मध्यस्थता और वैश्विक प्रतिक्रिया
इस समझौते में अमेरिका ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई। व्हाइट हाउस के मुताबिक, कई हफ्तों से पर्दे के पीछे गहन बातचीत चल रही थी। ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह एक ऐतिहासिक दिन है। हमने वह किया जो दशकों से असंभव माना जाता था।”
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई अरब देशों ने भी इस समझौते का स्वागत किया है। मिस्र और कतर ने इसमें अहम भूमिका निभाई है, जिन्होंने दोनों पक्षों के बीच संवाद बनाए रखने में मदद की।
गाजा में राहत की उम्मीद
गाजा पट्टी में इस समझौते की खबर के बाद लोगों में राहत और उम्मीद का माहौल है। महीनों से जारी युद्ध, हवाई हमलों और मानवीय संकट के बीच यह समझौता वहां के लोगों के लिए नई शुरुआत साबित हो सकता है।
स्थानीय संगठनों ने उम्मीद जताई है कि अब सहायता सामग्री और दवाइयों की आपूर्ति में तेजी आएगी, जिससे हजारों विस्थापित परिवारों को राहत मिलेगी।
आगे का रास्ता
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल पहला कदम है और असली परीक्षा आने वाले हफ्तों में होगी। अगर दोनों पक्ष अपने वादों पर कायम रहते हैं, तो यह समझौता स्थायी शांति की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।
मध्य पूर्व में यह पहल न केवल युद्ध के अंत की शुरुआत है, बल्कि कूटनीति की ताकत का भी प्रमाण बन सकती है—जहां संवाद, हिंसा पर भारी पड़ा है।
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