आज हम बात करेंगे एक ऐसे विषय पर, जो हम सभी की ज़िंदगी से बहुत करीब से जुड़ा है नींद। क्या आपने कभी सोचा है कि नींद पूरी न होना सिर्फ थकान या आलस का कारण नहीं, बल्कि डिप्रेशन की शुरुआत भी हो सकती है?
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम दिन-रात काम, मोबाइल और तनाव के बीच उलझे रहते हैं। रात को देर तक जागना, स्क्रीन पर स्क्रॉल करते रहना या ऑफिस की फाइलें निपटाना अब आम बात हो गई है। धीरे-धीरे यही आदत नींद की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर असर डालती है।
वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति लगातार 6 घंटे से कम सोता है तो उसके दिमाग में ऐसे रसायन बनने लगते हैं जो मूड, ऊर्जा और एकाग्रता पर बुरा असर डालते हैं। यही स्थिति धीरे-धीरे एंग्ज़ायटी और डिप्रेशन में बदल सकती है।
नींद की कमी से व्यक्ति चिड़चिड़ा, निराश और सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करने लगता है। हर सुबह उठना एक बोझ लगने लगता है, और जीवन से रुचि घटने लगती है।
अगर आप भी देर रात तक करवटें बदलते हैं, तो इसे हल्के में न लें। अपनी नींद को प्राथमिकता दें नियमित समय पर सोएं, फोन दूर रखें, और मन को शांत करने के लिए ध्यान या संगीत का सहारा लें। याद रखिए, अच्छी नींद सिर्फ आराम नहीं, बल्कि मानसिक सेहत की पहली दवा है।
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