क्या आपने कभी सोचा है कि दिनभर की भागदौड़ के बाद हमें अचानक नींद क्यों आने लगती है, और सुबह होते ही आंखें कैसे खुद-ब-खुद खुल जाती हैं? दरअसल, यह सब हमारे शरीर की जैविक घड़ी और दिमाग के अद्भुत सिस्टम की वजह से होता है।
हमारे मस्तिष्क में एक विशेष हिस्सा होता है जिसे हाइपोथैलेमस कहते हैं। इसमें सुप्राकायस्मेटिक न्यूक्लियस (SCN) नाम का हिस्सा शरीर की ‘बायोलॉजिकल क्लॉक’ को नियंत्रित करता है। यह प्रकाश और अंधेरे के आधार शरीर को संकेत देता है कि कब सोना है और कब जागना है।
जब सूरज ढलता है और अंधेरा बढ़ता है, तो हमारा शरीर मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्राव करने लगता है। यह हार्मोन हमें नींद के लिए तैयार करता है। वहीं, सुबह रोशनी होते ही मेलाटोनिन का स्तर घटने लगता है और शरीर कॉर्टिसोल हार्मोन का उत्पादन शुरू करता है, जिससे आंख खुल जाती है और ऊर्जा का संचार होता है।
इसके अलावा थकान, शारीरिक मेहनत, मानसिक तनाव और दिनभर की गतिविधियां भी नींद लाने में भूमिका निभाती हैं। नींद न केवल शरीर को आराम देती है, बल्कि दिमाग को भी रिचार्ज करती है।
इसलिए नींद को हल्के में न लें। यह सिर्फ आराम नहीं, बल्कि शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। समय पर सोना और जागना आपके शरीर की घड़ी को सही रखता है।
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