आज हम बात करेंगे उस सच्चाई की, जो समय-समय पर खुद को साबित करती आई है । भ्रष्टाचार का अंत कभी सुखद नहीं होता। जो व्यक्ति दूसरों के हक पर कब्जा करता है, ईमानदारी को ताक पर रखता है, वह चाहे कितनी भी ऊँची कुर्सी पर क्यों न पहुंच जाए, उसका पतन तय होता है।
इतिहास उठाकर देखें जिसने भी भ्रष्टाचार की राह चुनी, उसके पास भले ही दौलत का ढेर लग गया हो, लेकिन चैन और सम्मान हमेशा उससे दूर रहे। कई बड़े अधिकारी, नेता और व्यापारी जिन्होंने जनता के पैसों से अपनी तिजोरियाँ भरीं अंत में या तो जेल की सलाखों के पीछे पहुँचे या समाज में बदनाम होकर गुमनामी में खो गए।
भ्रष्ट व्यक्ति का सबसे बड़ा नुकसान सिर्फ कानूनी नहीं, नैतिक पतन भी है। जब इंसान अपनी ईमानदारी खो देता है, तो उसकी आत्मा उसे चैन से जीने नहीं देती। परिवार और समाज भी उससे दूरी बनाने लगते हैं।
कहते हैं, जिस घर की नींव झूठ पर रखी जाए, वह ज़्यादा दिन टिक नहीं पाता। ठीक वैसे ही, भ्रष्टाचार से मिली सफलता कुछ समय की होती है, पर अंत हमेशा शर्मनाक।
याद रखिए ईमानदारी भले ही मुश्किल रास्ता हो, लेकिन उसका अंत हमेशा सम्मान में होता है; जबकि भ्रष्टाचार का अंत अपमान में।
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