धनिया को मां लक्ष्मी का प्रतीक क्यों माना जाता है?

भारतीय संस्कृति और परंपराओं में हर वस्तु के पीछे कोई न कोई धार्मिक या आध्यात्मिक महत्व छिपा होता है। ठीक वैसे ही, धनिया (सूखा साबुत धनिया) को भी मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। खासतौर पर दीवाली और धनतेरस जैसे पर्वों पर इसका उपयोग शुभता और समृद्धि के लिए किया जाता है।

इसके पीछे क्या मान्यता है?

1. समृद्धि का संकेत: धनिया के बीज छोटे होते हैं लेकिन जब उन्हें बोया जाता है तो वे कई गुना अधिक मात्रा में पौधे बनते हैं। यही संकेत देता है कि एक छोटा बीज भी अगर सही दिशा में लगाया जाए तो वह बहुतायत (abundance) में फल दे सकता है। यह विचार माता लक्ष्मी की कृपा और धन की बढ़ोतरी का प्रतीक माना जाता है।

2. दीवाली पर विशेष प्रयोग: दीवाली की रात पूजा के बाद लोग साबुत धनिया को लक्ष्मी जी के सामने रखकर पूजते हैं, और अगले दिन उसे खेत या गमले में बो देते हैं। मान्यता है कि जैसे-जैसे धनिया उगता है, वैसे-वैसे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

3. शुभ और सात्विक वस्तु: धनिया का उपयोग भारतीय रसोई में एक पवित्र और सात्विक मसाले की तरह होता है। यह शुद्धता और शुभता का प्रतीक माना जाता है, जो मां लक्ष्मी की उपासना में उपयुक्त है।

इस तरह धनिया न सिर्फ एक मसाला है, बल्कि आस्था, समृद्धि और शुभता का प्रतीक बनकर भारतीय त्योहारों और परंपराओं में अपना विशेष स्थान रखता है।

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