निःसंतान दंपति के लिए आस्था का संकल्प: छठ पूजा से संतान प्राप्ति का वरदान

छठ पूजा, सूर्य उपासना का महापर्व, केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व उन दंपतियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है जो संतान सुख की कामना करते हैं। लोक मान्यता है कि छठ माता की सच्चे मन से पूजा करने पर संतान की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

निःसंतान दंपति छठ पर्व के दौरान कुछ विशेष उपाय अपनाकर अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं। सबसे पहले, छठ व्रत को पूर्ण श्रद्धा और शुद्धता के साथ करें। व्रती महिला या पुरुष सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देते हुए भगवान भास्कर और छठी मैया से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें।
अर्घ्य के जल में लाल फूल, दूध और गुड़ मिलाकर अर्पित करें यह शुभ माना जाता है।

छठ के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य के समय दंपति साथ मिलकर सूर्यदेव से संतान सुख की कामना करें। इस दिन बच्चों को वस्त्र या मिठाई दान करना भी शुभ फल देता है।

मान्यता है कि सच्चे मन, संयम और पवित्रता के साथ किया गया यह व्रत निःसंतान दंपति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देता है। इसलिए इस छठ पर्व पर अगर आप भी मातृत्व या पितृत्व का सुख पाना चाहते हैं, तो आस्था और विश्वास के साथ सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना करें आपकी झोली जरूर भर जाएगी खुशियों से।

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