बच्चों को सिखाएं प्राइवेसी का मतलब? नहीं तो कर बैठेंगे ये गलती

आज के डिजिटल युग में जहां बच्चे बहुत कम उम्र से ही स्मार्टफोन, सोशल मीडिया और इंटरनेट से जुड़ जाते हैं, वहीं उन्हें प्राइवेसी यानी निजता के महत्व को समझाना बेहद जरूरी हो गया है। अक्सर पेरेंट्स बच्चों को सुरक्षा सिखाते हैं, लेकिन डिजिटल और व्यक्तिगत प्राइवेसी पर खुलकर बात नहीं करते।

प्राइवेसी का मतलब केवल कमरे का दरवाज़ा बंद करना या किसी की बातें न सुनना नहीं है, बल्कि इसमें यह समझाना भी शामिल है कि कौन-सी जानकारी दूसरों से साझा करनी चाहिए और कौन-सी नहीं। बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि उनके शरीर, भावनाएं और डिजिटल जानकारी उनकी अपनी होती है, और किसी को भी बिना अनुमति उसके बारे में जानने या उपयोग करने का अधिकार नहीं होता।

पेरेंट्स को चाहिए कि वे एक दोस्ताना माहौल बनाएं, जहां बच्चा बिना झिझक अपने सवाल पूछ सके। उन्हें यह भी बताएं कि अगर कोई उनकी निजता का उल्लंघन करे चाहे स्कूल में, घर में या ऑनलाइन तो उन्हें खुलकर बताना चाहिए।

इसके अलावा बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि वे दूसरों की प्राइवेसी का भी सम्मान करें। जैसे किसी की चीज़ बिना पूछे न लेना, मोबाइल या चैट पढ़ने की कोशिश न करना, या किसी की तस्वीर बिना अनुमति शेयर न करना।

बच्चों को प्राइवेसी का मतलब और उसकी अहमियत समझाकर हम उन्हें एक सुरक्षित, समझदार और संवेदनशील इंसान बना सकते हैं।

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