राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के अतुलनीय योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की अखंडता, एकता और शक्ति का प्रतीक है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि इतिहास जैसा हुआ है, वैसा लिखा जाए और उसकी सच्चाई को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाए — न कि किसी राजनीतिक लाभ के लिए उसे तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जाए।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा, “एक बार सरदार पटेल ने कहा था कि देश सेवा से बड़ा कोई सुख नहीं है। मैं भी मानता हूं कि खुद को देशसेवा के लिए समर्पित करने से बड़ा सुख नहीं है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के प्रति समर्पण ही राष्ट्र निर्माण का सबसे मजबूत आधार है।
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा कि लंबे समय तक देश के इतिहास में सरदार पटेल के योगदान को कमतर दिखाने का प्रयास किया गया। कई महत्वपूर्ण निर्णयों और राष्ट्र निर्माण में उनकी निर्णायक भूमिका को जानबूझकर पीछे रखा गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की सरकार का प्रयास है कि हर नायक को उसका सही सम्मान मिले, चाहे वह किसी भी राजनीतिक विचारधारा से जुड़ा हो।
अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि सरदार पटेल की दृढ़ इच्छाशक्ति, राजनीतिक समझ और नेतृत्व के कारण ही 500 से अधिक रियासतों का एकीकरण संभव हो पाया। अगर वे न होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता दिवस का उद्देश्य युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जगाना और संविधान के प्रति कर्तव्य की भावना को मजबूत बनाना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का भी उल्लेख किया और बताया कि यह स्मारक केवल एक प्रतिमा नहीं, बल्कि देश की एकता और कठिन परिस्थितियों में भी डटकर खड़े रहने का संदेश देता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि इस स्मारक को केवल देखने की चीज न समझें, बल्कि इसके पीछे छिपे संदेश को आत्मसात करें।
अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज नई ऊर्जा और नवाचार के साथ आगे बढ़ रहा है। हमें सरदार पटेल के सपनों को पूरा करना है और ऐसा भारत बनाना है जो आत्मनिर्भर हो, सशक्त हो और दुनिया के सामने अपने गौरवशाली इतिहास के साथ उभर कर आए।
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