मीराबाई चानू का दमदार प्रदर्शन: विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में रजत पदक


 

चोटों के बाद शानदार वापसी

भारतीय भारोत्तोलन की स्टार खिलाड़ी मीराबाई चानू ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हौसलों के आगे मुश्किलें छोटी पड़ जाती हैं। हाल ही में संपन्न हुई विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप 2025 में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कुल 199 किलो वजन उठाकर रजत पदक अपने नाम किया। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि मीराबाई पिछले कुछ महीनों से चोट और रिकवरी की प्रक्रिया से गुजर रही थीं। इसके बावजूद उन्होंने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और दमदार अंदाज में वापसी की।

संघर्षों से भरी रही यात्रा

मीराबाई की यात्रा हमेशा आसान नहीं रही। चोटों ने कई बार उनके करियर पर सवाल खड़े किए, लेकिन हर बार उन्होंने हिम्मत और आत्मविश्वास से वापसी की। खासकर टोक्यो ओलंपिक 2020 के बाद से उन्हें लगातार फिटनेस की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों और ट्रेनिंग टीम की सलाह पर उन्होंने लंबा आराम भी किया, ताकि शरीर पूरी तरह से ठीक हो सके। इस दौरान कई बार यह सवाल उठा कि क्या वह फिर से उसी लय में लौट पाएंगी। लेकिन इस चैंपियनशिप का प्रदर्शन उनकी जुझारू मानसिकता और अनुशासन का बड़ा उदाहरण है।

भारत की सबसे बड़ी उम्मीद

भारतीय खेल जगत में मीराबाई चानू का नाम अब सिर्फ एक खिलाड़ी तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि वह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उनके इस रजत पदक ने भारत को न केवल गौरवान्वित किया है बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह अभी भी विश्व वेटलिफ्टिंग में भारत की सबसे बड़ी उम्मीद हैं। महिला भारोत्तोलन में लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना आसान नहीं होता, लेकिन मीराबाई ने इसे संभव कर दिखाया।

पेरिस ओलंपिक 2028 की तैयारी

मीराबाई चानू का यह रजत पदक भविष्य की बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए संकेत देता है। खासकर पेरिस ओलंपिक 2028 की तैयारियों की दिशा में इसे एक मजबूत कदम माना जा रहा है। उनका प्रदर्शन यह दिखाता है कि यदि वह इसी लय और अनुशासन के साथ आगे बढ़ती रहीं, तो ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीद और मजबूत हो जाएगी। कोचिंग टीम और भारतीय खेल प्राधिकरण भी उनके प्रदर्शन से बेहद संतुष्ट हैं और अब उनकी ट्रेनिंग को अगले स्तर पर ले जाने की योजना बनाई जा रही है।

निष्कर्ष

मीराबाई चानू की कहानी सिर्फ एक एथलीट की सफलता की गाथा नहीं है, बल्कि यह दृढ़ इच्छाशक्ति, संघर्ष और आत्मविश्वास का प्रतीक भी है। उनका हालिया प्रदर्शन लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, मेहनत और लगन से उन्हें पार किया जा सकता है। निस्संदेह, आने वाले वर्षों में भी मीराबाई भारत को गर्व महसूस कराने के लिए तैयार हैं।

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