करवाचौथ पर छलनी से अपने पति को क्यों देखती हैं सुहागिनें? जानिए इस परंपरा के पीछे की मान्यता

करवाचौथ का व्रत भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के प्रेम और अटूट रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सुहागिनें दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा देखने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। लेकिन एक खास परंपरा जो इस व्रत में निभाई जाती है, वह है छलनी से पति को देखना

इस परंपरा के पीछे धार्मिक और सांकेतिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। जब रात को चंद्रमा निकलता है, तो महिलाएं पहले छलनी से चंद्रमा को देखती हैं और फिर उसी छलनी से अपने पति को निहारती हैं। माना जाता है कि छलनी बाधाओं को छानने का प्रतीक होती है। यह संकेत देती है कि पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए हर संकट को छानकर अलग कर रही है।

कुछ लोककथाओं के अनुसार, छलनी से देखने की यह परंपरा वीरवती की कथा से जुड़ी है, जिसमें छल और धैर्य की परीक्षा ली जाती है। वहीं, कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को शीतलता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, और पति को चंद्रमा के बाद देखने से प्रेम और विश्वास और भी प्रगाढ़ होता है।

इस प्रकार छलनी से पति को देखना सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि एक गहरा भावनात्मक और सांस्कृतिक संदेश है कि जीवन की हर कठिनाई को पार कर पत्नी अपने पति की सलामती और सुख-शांति की कामना करती है।

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